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एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह कदम अन-ऑर्गनाइज्ड सेक्टर को मजबूत करने की इंटरनैशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (आईएलओ) से प्रतिबद्धता के अनुसार उठाया जा रहा है। देश की कुल वर्कफोर्स में अन-ऑर्गनाइज्ड सेक्टर की हिस्सेदारी 93 पर्सेंट की है।
अधिकारी ने कहा, 'आईएलओ की ओर से देश को इनफॉर्मल से फॉर्मल वर्कफोर्स की ओर ले जाने का काफी दबाव है। देश में इनफॉर्मल या अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर काफी बड़ा है। इसलिए इसे पूरी तरह फॉर्मल करना संभव नहीं होगा। इस वजह से हमने अन-ऑर्गनाइज्ड सेक्टर को मजबूत करने पर सहमति दी है।'
मिनिस्ट्री के प्रपोजल के मुताबिक, एंप्लॉयर्स के लिए मासिक वेतन पर काम करने वाले सभी घरेलू वर्कर्स को फॉर्मल अपॉइंटमेंट लेटर जारी करना अनिवार्य होगा। अधिकारी ने बताया, 'फॉर्मल अपॉइंटमेंट लेटर जारी करने से यह पक्का होगा कि डोमेस्टिक वर्कर्स को केवल हेल्पर्स के तौर पर न माना जाए बल्कि उन्हें एंप्लॉयड वर्कर्स समझा जाए, जो एंप्लॉयमेंट के साथ मिलने वाले अधिकारों और सम्मान के पात्र हैं।'
डोमेस्टिक वर्कर्स को लेकर कोई भरोसेमंद आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि देश में लगभग 50 लाख डोमेस्टिक वर्कर्स हैं। इनके योगदान को अक्सर आर्थिक आंकड़ों में जगह नहीं मिलती। देश में 35 करोड़ अन-ऑर्गनाइज्ड वर्कफोर्स में डोमेस्टिक वर्कर्स की हिस्सेदारी लगभग 1.5 पर्सेंट है। ये वर्कर्स विशेषतौर पर शहरी इलाकों में बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल, कुकिंग, ड्राइविंग, क्लीनिंग, ग्रॉसरी शॉपिंग जैसे काम करते हैं।
अपॉइंटमेंट लेटर मिलने से इन वर्कर्स के सामने आने वाली कुछ मुश्किलों को हल किया जा सकेगा। इन वर्कर्स के पास वादे से कम वेतन मिलने की स्थिति में शिकायत करने का कोई जरिया नहीं होता क्योंकि इन्हें लिखित में कुछ नहीं दिया जाता। इनके पास बेसिक हेल्थकेयर, साप्ताहिक छुट्टी, मैटरनिटी लीव जैसी सुविधाएं भी नहीं होतीं। इन्हें कई बार खराब व्यवहार का भी शिकार बनना पड़ता है। इसका विरोध करने पर नौकरी जाने का खतरा भी रहता है।
जानकारों का कहना है कि डोमेस्टिक वर्कर्स के लिए अपॉइंटमेंट लेटर अनिवार्य किए जाने का काफी विरोध हो सकता है। डोमेस्टिक वर्कर्स से जुड़े कुछ कानून देश में मौजूद हैं। इनमें अन-ऑर्गनाइज्ड सोशल सिक्यॉरिटी ऐक्ट, 2008 और सेक्सुअल हैरसमेंट अगेंस्ट विमेन एट वर्कप्लेस (प्रिवेंशन, प्रॉहिबिशन ऐंड रिड्रेसल) एक्ट, 2013 शामिल हैं। इसके साथ ही कई राज्यों में मिनिमम वेजेज शेड्यूल भी हैं, लेकिन अक्सर इन कानूनों का पालन नहीं किया जाता।
सौजन्य: INDIATMIES NEWS
बीजेपी से ‘नाराज’ शत्रुघ्न को जेडीयू से मिला न्योता
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रविवार को बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ सिन्हा ने मुलाकात की थी। इसके बाद, जेडीयू के राज्य प्रमुख वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि आखिरी फैसला खुद सिन्हा को ही लेना होगा। उन्होंने कहा कि अगर शत्रुघ्न सिन्हा उनकी पार्टी में शामिल होते हैं तो पार्टी उनका खुले दिल से स्वागत करेगी।
उधर, सिन्हा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नीतीश के साथ उनकी मुलाकात एक भाई की तरह थी। उन्होंने कहा कि नीतीश उनके भाई की तरह हैं और वह जब भी पटना आते हैं तब नीतीश के साथ मुलाकात करते हैं। उन्होंने जेडीयू में शामिल होने की बात पर कहा कि वह अच्छे और बुरे, दोनों समय में बीजेपी के साथ जुड़े रहे हैं और जेडीयू में शामिल होने का कोई सवाल ही नहीं है।
इस बीच, शनिवार को राज्य में बीजेपी के पोस्टरों पर यादव समुदाय को लुभाने के लिए मोदी को भगवान कृष्ण के द्वारका से आया हुआ बताए जाने पर प्रतिक्रिया करते हुए आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने कहा मोदी को 'कालिया नाग' कहा।
सौजन्य: INDIA TIMES NEWS
खतरे में है ब्रैंड धोनी का भविष्य?
05:24
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वह अब भी 18 ब्रैंड्स को एंडोर्स करते हैं। इनमें पेप्सी, रीबॉक, टीवीएस, बूस्ट, स्टारस्पोर्ट्स प्रमुख हैं। जानकारों के मुताबिक, उनकी एंडोर्समेंट फीस 10-12 करोड़ प्रति ब्रैंड है, जो भारतीय क्रिकेट टीम के टेस्ट कप्तान विरोट कोहली से ज्यादा है।
हालांकि, क्या ये तमाम चीजें बदल सकती हैं? शायद हां। इकनॉमिक टाइम्स ने इस सिलसिले में कुछ सीएक्सओ और एक्सपर्ट्स से बात की। उनका कहना था कि मार्केटिंग के लायक क्रिकेटर्स की कमी के कारण धोनी का ब्रैंड कुछ हद तक टिका रह सकता है, लेकिन कॉन्ट्रैक्ट्स के रिन्यूअल के वक्त एंडोर्समेंट रेट में भारी गिरावट हो सकती है। इस रेट में 25-30 फीसदी तक गिरावट हो सकती है।
इकनॉमिक टाइम्स ने इस बारे में धोनी से जुड़े दर्जनभर ब्रैंड्स से बात करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने टिप्पणी करने से मना कर दिया। हालांकि, कुछ सीएक्सओ का ऑफ द रिकॉर्ड कहना था कि ब्रैंड की दुनिया में धोनी की चमक अब फीकी पड़ने लगी है। कई एक्सपर्ट्स की भी यही राय है और उन्होंने आधिकारिक तौर पर यह बात कही भी।
धोनी से जुड़े एक बड़े ब्रैंड के सीईओ का कहना था कि निश्चित तौर पर उनके ब्रैंड वैल्यू में गिरावट हो रही है। उन्होंने बताया, 'वह टेस्ट क्रिकेट नहीं खेल रहे हैं और इससे उनके वैल्यूएशन पर असर पड़ रहा है। हालांकि, मार्केटिंग के लायक क्रिकेटर्स की कमी के कारण उनका कॉन्ट्रैक्ट जारी रहेगा, लेकिन शर्तें और फीस पहले जैसी नहीं रहेंगी।'
ब्रैंड धोनी से जुड़े एक और ब्रैंड के सीएक्सओ का कहना था कि उनकी कंपनी अपने अलग-अलग विज्ञापन दिखाने की तैयारी में है, ताकि धोनी बाकी स्पोर्ट्स स्टार और बॉलिवुड की हस्तियों के साथ स्पेस साझा कर सकें।
हालांकि, धोनी के बिजनस असोसिएट्स की राय अलग है। उनके जिम वेंचर से जुड़े असोसिएट ने बताया, 'यह सच है कि क्रिकेट के वैल्यूएशन में गिरावट आ रही है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि हम धोनी से अलग होने जा रहे हैं। हमारा लॉन्ग टर्म रिश्ता है।'
एक और अधिकारी का कहना था कि धोनी और उनके पार्टनर अरुण पांडे (ऋति स्पोर्ट्स) ने अपना बिजनेस पार्टनर चुनने में काफी स्मार्ट तरीके से काम किया है। ये सभी उनके करीबी दोस्त और फैमिली है, लिहाजा इस पर खतरा नहीं है। बहरहाल, धोनी के बिजनेस मैनेजर की अलग राय है। पांडे का कहना है कि हर कोई मौजूदा हालात का फायदा उठाकर धोनी के खिलाफ बोल रहा है। उन्होंने कहा, 'आईपीएल विवाद से धोनी के ब्रांड वैल्यू पर असर पड़ने की चौतरफा चर्चा हो रही है। ऐसा नहीं है। लोगों को जो कहना है, वे कहें, इससे हम पर कुछ फर्क नहीं पड़ता। धोनी इंटरनेशनल स्पोर्ट्स स्टार और यूथ आइकन हैं और बने रहेंगे।'
सौजन्य: INDIA TIMES NEWS
खुद को देवी बतानेवाली राधे मां के खिलाफ केस दर्ज!
05:20
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आरोप है कि राधे मां के भक्त ससुरालवालों ने राधे मां के कहने पर महिला के साथ अमानवीय बर्ताव किया और लड़की के घरवालों से पैसे के लिए दबाव डाला। आरोप लगाया जा रहा है कि जब महिला की शादी तय हुई थी तो राधे में ने महिला के परिवार से अपनी शान-शौकत के हिसाब से तैयारी करने के कहा।
खुद को देवी का अवतार बताने वाली राधे मां खुद कानून के शिकंजे में फंसती नजर आ रही हैं।
शादी में आने के लिए हेलीकॉप्टर और महंगी गाड़ी मुहैया कराने को कहा, लेकिन लड़की का परिवार ये सब नहीं कर सका। फिर 25 लाख दहेज पर शादी तय की गई और शादी के बाद राधे मां के बोरीवली स्थित आश्रम में महिला से नौकरों की तरह काम कराया जाता था। यही नहीं आरोप है कि काम में कोताही होने पर राधे मां महिला को लात-घूंसों से पिटाई भी करती थी।
आरोप है कि राधे मां के भक्त महिला के ससुरालवाले भी महिला पर अत्याचार करते थे। इसके बाद राधे मां के ही कहने पर ससुरालवालों ने महिला को घर से निकाल दिया, जिसके बाद महिला ने मुंबई की कांदिवली पुलिस स्टेशन में ससुराल के लोगों सहित राधे मां के खिलाफ मामला दर्ज कराया है।
सौजन्य: IBN7 NEWS
गुरदासपुर आतंकी हमले पर पीएम ने बुलाई बैठक!
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गृहमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार स्थिति पर नजर रखे हुए है और उन्हें भरोसा है कि स्थिति को काबू में कर लिया जाएगा। सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और केंद्रीय गृह सचिव एल सी गोयल से भी बात की। उन्होंने गुरदासपुर में स्थिति की समीक्षा की जहां सेना की वर्दी पहने तीन से चार संदिग्ध आतंकवादियों ने आज तड़के एक बस पर गोलीबारी की और एक पुलिस थाने पर हमला किया। जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई है।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुरदासपुर में हुए आतंकवादी के हमले के मद्देनजर अहम बैठक बुलाई है।
गोयल ने पंजाब के पुलिस महानिदेशक से बात की और उन्हें स्थिति से निपटने के लिए केंद्र की ओर से हर संभव मदद मुहैया कराने का वादा किया। गृहमंत्री ने बीएसएफ को आदेश दिया कि वह पुलिस की मदद के लिए बलों को तत्काल गुरदासपुर भेजे। उन्होंने बीएसएफ से पाकिस्तान से सटी संपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास सतर्कता बढ़ाने का निर्देश दिया। एनएसजी के कमांडो भी पंजाब रवाना हो सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा बलों की तत्काल प्राथमिकता संदिग्ध आतंकवादियों को बेअसर करना है।
सौजन्य: IBN7 NEWS
बॉलीवुड में आने से पहले ये काम करते थे फिल्म स्टार्स!
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बॉलीवुड के ‘खिलाड़ी’ अक्षय कुमार फिल्मों से पहले शेफ थे। वो बैंकॉक में लोगों को अपने हाथों से बने लजीज व्यंजन खिलाया करते थे। वहीं पर उन्होंने मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग ली और फिर बन गए बॉलीवु़ड के मिस्टर खिलाड़ी।
बॉलीवु़ड के शहंशाह अमिताभ बच्चने फिल्मों में आने से पहले कोलकाता की शिपिंग कंपनी में काम किया। उन्होंने रेडियो पर काम करने के लिए भी ट्राई किया, पर दोनों जगहों की विफलता ने उन्हें बॉलीवुड पहुंचाया और आज अमिताभ बच्चन की जगह हर कोई जानता है।
अरशद वारसी इंडस्ट्री के उन सितारों में से हैं, जिनमें धेर सारा टैलेंट है। अरशद फिल्मों में आने से पहले कोरियोग्राफर और डांसर रहे। पर सबसे पहला काम उन्होंने कॉस्मेटिक ऑइटम्स बेचने वाले सेल्समैन का किया।
मिस श्रीलंका रही जैक्लीन फर्नांडिस बॉलीवुड में आने से पहले टीवी रिपोर्टर रही और टीवी इंडस्ट्री में भी काम किया था।
कल्कि कोएचलिन ने इंडस्ट्री में आने से पहले वेटर का काम किया। जो उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए किया।
सैफ अली खान की बहन सोहा अली खान ने फिल्मों में आने से पहले सिटी बैंक में काम किया। उन्हें सबसे पहले बंगाली फिल्म इति श्रीकांत में काम किया और बॉलीवुड में दिल मांगे मोर के साथ शुरुआत की।
सनी लियोनी ने एडल्ट फिल्म इंडस्ट्री में काम करने से पहले जर्मन बेकरी में काम किया। इसके बाद उन्होंने टैक्स और रिटायरमेंट फर्म में काम किया।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। पर उन्होंने लंबा संघर्ष किया। नवाजुद्दी ने सबसे पहले एक पेट्रो केमिकल कंपनी में केमिस्ट की जॉब की। इसके बाद उन्हें सरफरोस फिल्म में काम किया। सरफरोस फिल्म में आने से पहले नवाजुद्दी ने दिल्ली में वाचमैन का काम भी किया
बॉलीवुड के किंग शाहरूख खान ने फिल्मों में आने से पहले पार्टियों में सहायक का काम किया। उन्होंने पंकज उधास के गजल की महफिल में भी सहायक का काम कि.या और उन्हें 50 रुपए मिले।
इरफान खान ने अपने दम पर इंडस्ट्री में पहचान बनाई। इरफान ने इंडस्ट्री में आने से पहले ट्यूशन टीचर का काम किया। उन्होंने 25 रुपए माह पर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया।
सौजन्य: IBN7 NEWS
गवाह का दावा, आसाराम के पास 2,000 की फिदायीन फौज
05:04
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पांडे के मुताबिक, आसाराम के पास उसके 2,000 समर्थकों की एक फिदायीन फौज है, जिनका आसाराम के प्रति इतना समर्पण है कि वे उसके लिए कुछ भी कर सकते हैं। पांडे ने पुलिस को बताया कि आसाराम के खिलाफ जाने वाले किसी भी व्यक्ति को यह फिदायीन फौज मार सकती है और जरूरत पड़ने पर ये लोग खुद भी मरने के लिए तैयार रहते हैं।
पांडे की इस अहम गवाही के बाद पुलिस ने शाहजहांपुर की उस पीड़िता की सुरक्षा बढ़ा दी है जिसने आसाराम के खिलाफ बलात्कार का आरोप लगाया था।
सदर बाजार पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर जे.पी.तिवारी ने कहा कि पांडे की गवाही के बाद पुलिस को इस मामले से जुड़े और भी लोगों पर हमले की आशंका है। उन्होंने बताया कि पांडे की गवाही के मुताबिक, फिदायीन टुकड़ी के लोग व आसाराम के कई अन्य सहयोगी पीड़ित लड़की और उसके पिता को मारने की योजना बना रहे हैं। मालूम हो कि जिस गवाह की हत्या बीती 10 जुलाई को की गई थी, वह इंस्पेक्टर तिवारी के ही अधिकार में कैद था।
सौजन्य: INDIATIMES NEWS
जानिए प्राचीन भारत के 11 ऐसे रहस्य जिनपर आपको गर्व होगा
22:46
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यदि हम मेहरगढ़ संस्कृति और सभ्यता की बात करें तो वह लगभग 7000 से 3300 ईसा पूर्व अस्तित्व में थी जबकि सिंधु घाटी सभ्यता 3300 से 1700 ईसा पूर्व अस्तित्व में थी। प्राचीन भारत के इतिहास की शुरुआत 1200 ईसापूर्व से 240 ईसा पूर्व के बीच नहीं हुई थी। यदि हम धार्मिक इतिहास के लाखों वर्ष प्राचीन इतिहास को न भी मानें तो संस्कृत और कई प्राचीन भाषाओं के इतिहास के तथ्यों के अनुसार प्राचीन भारत के इतिहास की शुरुआत लगभग 13 हजार ईसापूर्व हुई थी अर्थात आज से 15 हजार वर्ष पूर्व।
उक्त 15 हजार वर्षों में भारत ने जहां एक और हिमयुग देखा है तो वहीं उसने जलप्रलय को भी झेला है। उस दौर में भारत में इतना उन्नत, विकसित और सभ्य समाज था जैसा कि आज देखने को मिलता है। इसके अलावा ऐसी कई प्राकृतिक आपदाओं का जिक्र और राजाओं की वंशावली का वर्णन है जिससे भारत के प्राचीन इतिहास की झलक मिलती है। आओ हम जानते हैं प्राचीन भारत के ऐसे 10 रहस्य जिस पर अब विज्ञान भी शोध करने लगा है और अब वह भी इसे सच मानता है।
कुछ विद्वान मानते हैं कि जब अफ्रीका, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया एक थे तब भारत के एक हिस्से मात्र में डायनासोरों का राज था। लेकिन 50 करोड़ वर्ष पूर्व वह युग बीत गया। प्रथम जीव की उत्पत्ति धरती के पेंजिया भूखंड के काल में गोंडवाना भूमि पर हुई थी। गोंडवाना महाद्वीप एक ऐतिहासिक महाद्वीप था। भू-वैज्ञानिकों के अनुसार लगभग 50 करोड़ वर्ष पहले पृथ्वी पर दो महा-महाद्वीप ही थे। उक्त दो महाद्वीपों को वैज्ञानिकों ने दो नाम दिए। एक का नाम था ‘गोंडवाना लैंड’ और दूसरे का नाम ‘लॉरेशिया लैंड’। गोंडवाना लैंड दक्षिण गोलार्ध में था और उसके टूटने से अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी अमेरिका और अफ्रीका महाद्वीप का निर्माण हुआ। गोंडवाना लैंड के कुछ हिस्से लॉरेशिया के कुछ हिस्सों से जुड़ गए जिनमें अरब प्रायद्वीप और भारतीय उपमहाद्वीप हैं। गोंडवाना लैंड का नाम भारत के गोंडवाना प्रदेश के नाम पर रखा गया है, क्योंकि यहां शुरुआती जीवन के प्रमाण मिले हैं। फिर 13 करोड़ साल पहले जब यह धरती 5 द्वीपों वाली बन गई, तब जीव-जगत का विस्तार हुआ। उसी विस्तार क्रम में आगे चलकर कुछ लाख वर्ष पूर्व मानव की उत्पत्ति हुई।
धरती का पहला मानव कौन था?
जीवन का विकास सर्वप्रथम भारतीय दक्षिण प्रायद्वीप में नर्मदा नदी के तट पर हुआ, जो विश्व की सर्वप्रथम नदी है। यहां डायनासोरों के सबसे प्राचीन अंडे एवं जीवाश्म प्राप्त हुए हैं। भारत के सबसे पुरातन आदिवासी गोंडवाना प्रदेश के गोंड संप्रदाय की पुराकथाओं में भी यही तथ्य वर्णित है। गोंडवाना मध्यभारत का ऐतिहासिक क्षेत्र है जिसमें मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र राज्य के हिस्से शामिल हैं। गोंड नाम की जाति आर्य धर्म की प्राचीन जातियों में से एक है, जो द्रविड़ समूह से आती है। उल्लेखनीय है कि आर्य नाम की कोई जाति नहीं होती थी। जो भी जाति आर्य धर्म का पालन करती थी उसे आर्य कहा जाता था।
पहला मानव : प्राचीन भारत के इतिहास के अनुसार मानव कई बार बना और कई बार फना हो गया। एक मन्वंतर के काल तक मानव सभ्यता जीवित रहती है और फिर वह काल बीत जाने पर संपूर्ण धरती अपनी प्रारंभिक अवस्था में पहुंच जाती है। लेकिन यह तो हुई धर्म की बात इसमें सत्य और तथ्य कितना है?
दुनिया व भारत के सभी ग्रंथ यही मानते हैं कि मानव की उत्पत्ति भारत में हुई थी। हालांकि भारतीय ग्रंथों में मानव की उत्पत्ति के दो सिद्धांत मिलते हैं- पहला मानव को ब्रह्मा ने बनाया था और दूसरा मनुष्य का जन्म क्रमविकास का परिणाम है। प्राचीनकाल में मनुष्य आज के मनुष्य जैसा नहीं था। जलवायु परिवर्तन के चलते उसमें भी बदलाव होते गए।
हालांकि ग्रंथ कहते हैं कि इस मन्वंतर के पहले मानव की उत्पत्ति वितस्ता नदी की शाखा देविका नदी के तट पर हुई थी। यह नदी कश्मीर में है। वेद के अनुसार प्रजापतियों के पुत्रों से ही धरती पर मानव की आबादी हुई। आज धरती पर जितने भी मनुष्य हैं सभी प्रजापतियों की संतानें हैं।
संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है तथा समस्त भारतीय भाषाओं की जननी है। ‘संस्कृत’ का शाब्दिक अर्थ है ‘परिपूर्ण भाषा’। संस्कृत से पहले दुनिया छोटी-छोटी, टूटी-फूटी बोलियों में बंटी थी जिनका कोई व्याकरण नहीं था और जिनका कोई भाषा कोष भी नहीं था। कुछ बोलियों ने संस्कृत को देखकर खुद को विकसित किया और वे भी एक भाषा बन गईं।
सभी भाषाओं की जननी संस्कृत
sanskrit1
ब्राह्मी और देवनागरी लिपि : भाषा को लिपियों में लिखने का प्रचलन भारत में ही शुरू हुआ। भारत से इसे सुमेरियन, बेबीलोनीयन और यूनानी लोगों ने सीखा। प्राचीनकाल में ब्राह्मी और देवनागरी लिपि का प्रचलन था। ब्राह्मी और देवनागरी लिपियों से ही दुनियाभर की अन्य लिपियों का जन्म हुआ। ब्राह्मी लिपि एक प्राचीन लिपि है जिससे कई एशियाई लिपियों का विकास हुआ है। महान सम्राट अशोक ने ब्राह्मी लिपि को धम्मलिपि नाम दिया था। ब्राह्मी लिपि को देवनागरी लिपि से भी प्राचीन माना जाता है। कहा जाता है कि यह प्राचीन सिन्धु-सरस्वती लिपि से निकली लिपि है। हड़प्पा संस्कृति के लोग इस लिपि का इस्तेमाल करते थे, तब संस्कृत भाषा को भी इसी लिपि में लिखा जाता था।
शोधकर्ताओं के अनुसार देवनागरी, बांग्ला लिपि, उड़िया लिपि, गुजराती लिपि, गुरुमुखी, तमिल लिपि, मलयालम लिपि, सिंहल लिपि, कन्नड़ लिपि, तेलुगु लिपि, तिब्बती लिपि, रंजना, प्रचलित नेपाल, भुंजिमोल, कोरियाली, थाई, बर्मेली, लाओ, खमेर, जावानीज, खुदाबादी लिपि, यूनानी लिपि आदि सभी लिपियों की जननी है ब्राह्मी लिपि।
कहते हैं कि चीनी लिपि 5,000 वर्षों से ज्यादा प्राचीन है। मेसोपोटामिया में 4,000 वर्ष पूर्व क्यूनीफॉर्म लिपि प्रचलित थी। इसी तरह भारतीय लिपि ब्राह्मी के बारे में भी कहा जाता है। जैन पौराणिक कथाओं में वर्णन है कि सभ्यता को मानवता तक लाने वाले पहले तीर्थंकर ऋषभदेव की एक बेटी थी जिसका नाम ब्राह्मी था और कहा जाता है कि उसी ने लेखन की खोज की। यही कारण है कि उसे ज्ञान की देवी सरस्वती के साथ जोड़ते हैं। हिन्दू धर्म में सरस्वती को शारदा भी कहा जाता है, जो ब्राह्मी से उद्भूत उस लिपि से संबंधित है, जो करीब 1500 वर्ष से अधिक पुरानी है।
केरल के एर्नाकुलम जिले में कलादी के समीप कोट्टानम थोडू के आसपास के इलाकों से मिली कुछ कलात्मक वस्तुओं पर ब्राह्मी लिपि खुदी हुई पाई गई है, जो नवपाषाणकालीन है। यह खोज इलाके में महापाषाण और नवपाषाण संस्कृति के अस्तित्व पर प्रकाश डालती है। पत्थर से बनी इन वस्तुओं का अध्ययन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के वैज्ञानिक और केरल विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पुरातत्वविद डॉ. पी. राजेन्द्रन द्वारा किया गया। ये वस्तुएं एर्नाकुलम जिले में मेक्कालादी के अंदेथ अली के संग्रह का हिस्सा हैं। राजेन्द्रन ने बताया कि मैंने कलादी में कोट्टायन के आसपास से अली द्वारा संग्रहीत कलात्मक वस्तुओं के विशाल भंडार का अध्ययन किया। इन वस्तुओं में नवपाषणकालीन और महापाषाणकालीन से संबंधित वस्तुएं भी हैं। उन्होंने बताया कि नवपाषाणकलीन कुल्हाड़ियों का अध्ययन करने के बाद पाया गया कि ऐसी 18 कुल्हाड़ियों में से 3 पर गुदी हुई लिपि ब्राह्मी लिपि है।
प्राचीन दुनिया में कुछ नदियां प्रमुख नदियां थीं जिनमें एक ओर सिंधु-सरस्वती और गंगा और नर्मदा थीं, तो दूसरी ओर दजला-फरात और नील नदियां थीं। दुनिया की प्रारंभिक मानव आबादी इन नदियों के पास ही बसी थीं जिसमें सिंधु और सरस्वती नदी के किनारे बसी सभ्यता सबसे समृद्ध, सभ्य और बुद्धिमान थी। इसके कई प्रमाण मौजूद हैं। दुनिया का पहला धार्मिक ग्रंथ सरस्वती नदी के किनारे बैठकर ही लिखा गया था।
एक और जहां दजला और फरात नदी के किनारे मोसोपोटामिया, सुमेरियन, असीरिया और बेबीलोन सभ्यता का विकास हुआ तो दूसरी ओर मिस्र की सभ्यता का विकास 3400 ईसा पूर्व नील नदी के किनारे हुआ। इसी तरह भारत में एक ओर सिंधु और सरस्वती नदी के किनारे सिंधु, हड़प्पा, मोहनजोदड़ो आदि सभ्यताओं का विकास हुआ तो दूसरी ओर गंगा और नर्मदा के किनारे प्राचीन भारत का समाज निर्मित हुआ।
प्राप्त शोधानुसार सिंधु और सरस्वती नदी के बीच जो सभ्यता बसी थी वह दुनिया की सबसे प्राचीन और समृद्ध सभ्यता थी। यह वर्तमान में अफगानिस्तान से भारत तक फैली थी। प्राचीनकाल में जितनी विशाल नदी सिंधु थी उससे कई ज्यादा विशाल नदी सरस्वती थी।
शोधानुसार यह सभ्यता लगभग 9,000 ईसा पूर्व अस्तित्व में आई थी और 3,000 ईसापूर्व उसने स्वर्ण युग देखा और लगभग 1800 ईसा पूर्व आते-आते यह लुप्त हो गया। कहा जाता है कि 1,800 ईसा पूर्व के आसपास किसी भयानक प्राकृतिक आपदा के कारण एक और जहां सरस्वती नदी लुप्त हो गई वहीं दूसरी ओर इस क्षेत्र के लोगों ने पश्चिम की ओर पलायन कर दिया। पुरात्ववेत्ता मेसोपोटामिया (5000- 300 ईसापूर्व) को सबसे प्राचीन बताते हैं, लेकिन अभी सरस्वती सभ्यता पर शोध किए जाने की आवश्यकता है।
प्राचीन अंतरिक्ष विज्ञान के संबंध में खोज करने वाले एरिक वॉन डेनिकन तो यही मानते हैं कि भारत में ऐसी कई जगहें हैं, जहां एलियंस रहते थे जिन्हें वे आकाश के देवता कहते हैं।
हाल ही में भारत के एक खोजी दल ने कुछ गुफाओं में ऐसे भित्तिचित्र देखे हैं, जो कई हजार वर्ष पुराने हैं। प्रागैतिहासिक शैलचित्रों के शोध में जुटी एक संस्था ने रायसेन के करीब 70 किलोमीटर दूर घने जंगलों के शैलचित्रों के आधार पर अनुमान जताया है कि प्रदेश के इस हिस्से में दूसरे ग्रहों के प्राणी ‘एलियन’ आए होंगे।
ऐसा नहीं है कि मिसाइलों या परमाणु अस्त्र का आविष्कार आज ही हुआ है। रामायण काल में भी परमाणु अस्त्र छोड़ा गया था और महाभारत काल में भी। इसके अलावा ऐसे भी कई अस्त्र और शस्त्र थे जिनके बारे में जानकर आप आश्चर्य करेंगे। विज्ञान इस तरह के अस्त्र और शस्त्र बनाने में अभी सफल नहीं हुआ है। हालांकि लक्ष्य का भेदकर लौट आने वाले अस्त्र वह बना चुका है।
उदाहरण के तौर पर एरिक वॉन अपनी बेस्ट सेलर पुस्तक ‘चैरियट्स ऑफ गॉड्स’ में लिखते हैं, ‘लगभग 5,000 वर्ष पुरानी महाभारत के तत्कालीन कालखंड में कोई योद्धा किसी ऐसे अस्त्र के बारे में कैसे जानता था जिसे चलाने से 12 साल तक उस धरती पर सूखा पड़ जाता, ऐसा कोई अस्त्र जो इतना शक्तिशाली हो कि वह माताओं के गर्भ में पलने वाले शिशु को भी मार सके? इसका अर्थ है कि ऐसा कुछ न कुछ तो था जिसका ज्ञान आगे नहीं बढ़ाया गया अथवा लिपिबद्ध नहीं हुआ और गुम हो गया।’
प्राचीन भारत बहुत ही समृद्ध और सभ्य देश था, जहां हर तरह के अत्याधुनिक हथियार थे, तो वहीं मानव के मनोरंजन के भरपूर साधन भी थे। एक ओर जहां शतरंज का आविष्कार भारत में हुआ वहीं फुटबॉल खेल का जन्म भी भारत में ही हुआ है। भगवान कृष्ण की गेंद यमुना में चली जाने का किस्सा बहुत चर्चित है तो दूसरी ओर भगवान राम के पतंग उड़ाने का उल्लेख भी मिलता है।
कहने का तात्पर्य यह कि ऐसा कोई-सा खेल या मनोरंजन का साधन नहीं है जिसका आविष्कार भारत में न हुआ हो। भारत में प्राचीनकाल से ही ज्ञान को अत्यधिक महत्व दिया गया है। कला, विज्ञान, गणित और ऐसे अनगिनत क्षेत्र हैं जिनमें भारतीय योगदान अनुपम है। आधुनिक युग के ऐसे बहुत से आविष्कार हैं, जो भारतीय शोधों के निष्कर्षों पर आधारित हैं।
प्राचीन भारतीयों ने एक और जहां पिरामिडनुमा मंदिर बनाए तो दूसरी ओर स्तूपनुमा मंदिर बानकर दुनिया को चमत्कृत कर दिया। आज दुनियाभर के धर्म के प्रार्थना स्थल इसी शैली में बनते हैं। मिश्र के पिरामिडों के बाद हिन्दू मंदिरों को देखना सबसे अद्भुत माना जाता था। प्राचीनकाल के बाद मौर्य और गुप्त काल में मंदिरों को नए सिरे से बनाया गया और मध्यकाल में उनमें से अधिकतर मंदिरों का विध्वंस किया गया। माना जाता है कि किसी समय ताजमहल भी एक शिव मंदिर ही था। कुतुबमीनार विष्णु स्तंभ था। अयोध्या में महाभारतकाल का एक प्राचीन और भव्य मंदिर था जिसे तोड़ दिया गया।
मौर्य, गुप्त और विजयनगरम साम्राज्य के दौरान बने हिन्दू मंदिरों की स्थापत्य कला को देखकर हर कोई दांतों तले अंगुली दबाए बिना नहीं रह पाता। अजंता-एलोरा की गुफाएं हों या वहां का विष्णु मंदिर। कोणार्क का सूर्य मंदिर हो या जगन्नाथ मंदिर या कंबोडिया के अंकोरवाट का मंदिर हो या थाईलैंड के मंदिर… उक्त मंदिरों से पता चलता है कि प्राचीनकाल में खासकर महाभारतकाल में किस तरह के मंदिर बने होंगे। समुद्र में डूबी कृष्ण की द्वारिका के अवशेषों की जांच से पता चलता है कि आज से 5,000 वर्ष पहले भी मंदिर और महल इतने भव्य होते थे जितने कि मध्यकाल में बनाए गए थे।
रहस्यों से भरे मंदिर : ऐसे कई मंदिर हैं, जहां तहखानों में लाखों टन खजाना दबा हुआ है। उदाहरणार्थ केरल के श्रीपद्मनाभ स्वामी मंदिर के 7 तहखानों में लाखों टन सोना दबा हुआ है। उसके 6 तहखानों में से करीब 1 लाख करोड़ का खजाना तो निकाल लिया गया है, लेकिन 7वें तहखाने को खोलने पर राजपरिवार ने सुप्रीम कोर्ट से आदेश लेकर रोक लगा रखी है। आखिर ऐसा क्या है उस तहखाने में कि जिसे खोलने से वहां तबाही आने की आशंका जाहिर की जा रही है? कहते हैं उस तहखाने का दरवाजा किसी विशेष मंत्र से बंद है और वह उसी मंत्र से ही खुलेगा।
वृंदावन का एक मंदिर अपने आप ही खुलता और बंद हो जाता है। कहते हैं कि निधिवन परिसर में स्थापित रंगमहल में भगवान कृष्ण रात में शयन करते हैं। रंगमहल में आज भी प्रसाद के तौर पर माखन-मिश्री रोजाना रखा जाता है। सोने के लिए पलंग भी लगाया जाता है। सुबह जब आप इन बिस्तरों को देखें, तो साफ पता चलेगा कि रात में यहां जरूर कोई सोया था और प्रसाद भी ग्रहण कर चुका है। इतना ही नहीं, अंधेरा होते ही इस मंदिर के दरवाजे अपने आप बंद हो जाते हैं इसलिए मंदिर के पुजारी अंधेरा होने से पहले ही मंदिर में पलंग और प्रसाद की व्यवस्था कर देते हैं।
मान्यता के अनुसार यहां रात के समय कोई नहीं रहता है। इंसान छोड़िए, पशु-पक्षी भी नहीं। ऐसा बरसों से लोग देखते आए हैं, लेकिन रहस्य के पीछे का सच धार्मिक मान्यताओं के सामने छुप-सा गया है। यहां के लोगों का मानना है कि अगर कोई व्यक्ति इस परिसर में रात में रुक जाता है तो वह तमाम सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
प्राचीन भारत में एक ओर जहां आसमान में विमान उड़ते थे वहीं नदियों में नाव और समुद्र में जहाज चलते थे। रामायण काल में भगवान राम एक नाव में सफर करके ही गंगा पार करते हैं तो वे दूसरी ओर उनके द्वारा पुष्पक विमान से ही अयोध्या लौटने का वर्णन मिलता हैं। दूसरी ओर संस्कृत और अन्य भाषाओं के ग्रंथों में इस बात के कई प्रमाण मिलते हैं कि भारतीय लोग समुद्र में जहाज द्वारा अरब और अन्य देशों की यात्रा करते थे।
प्राचीन भारत के शोधकर्ता मानते हैं कि रामायण और महाभारतकाल में विमान होते थे जिसके माध्यम से विशिष्टजन एक स्थान से दूसरे स्थान पर सुगमता से यात्रा कर लेते थे। विष्णु, रावण, इंद्र, बालि आदि सहित कई देवी और देवताओं के अलावा मानवों के पास अपने खुद के विमान हुआ करते थे। विमान से यात्रा करने की कई कहानियां भारतीय ग्रंथों में भरी पड़ी हैं। यहीं नहीं, कई ऐसे ऋषि और मुनि भी थे, जो अंतरिक्ष में किसी दूसरे ग्रहों पर जाकर पुन: धरती पर लौट आते थे।
वर्तमान समय में भारत की इस प्राचीन तकनीक और वैभव का खुलासा कोलकाता संस्कृत कॉलेज के संस्कृत प्रोफेसर दिलीप कुमार कांजीलाल ने 1979 में एंशियंट एस्ट्रोनट सोसाइटी (Ancient Astronaut Society) की म्युनिख (जर्मनी) में संपन्न छठी कांग्रेस के दौरान अपने एक शोध पत्र से किया। उन्होंने उड़ सकने वाले प्राचीन भारतीय विमानों के बारे में एक उद्बोधन दिया और पर्चा प्रस्तुत किया।
संगीत और वाद्ययंत्रों का अविष्कार भारत में ही हुआ है। संगीत का सबसे प्राचीन ग्रंथ सामवेद है। हिन्दू धर्म का नृत्य, कला, योग और संगीत से गहरा नाता रहा है। हिन्दू धर्म मानता है कि ध्वनि और शुद्ध प्रकाश से ही ब्रह्मांड की रचना हुई है। आत्मा इस जगत का कारण है। चारों वेद, स्मृति, पुराण और गीता आदि धार्मिक ग्रंथों में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को साधने के हजारोहजार उपाय बताए गए हैं। उन उपायों में से एक है संगीत। संगीत की कोई भाषा नहीं होती। संगीत आत्मा के सबसे ज्यादा नजदीक होता है। शब्दों में बंधा संगीत विकृत संगीत माना जाता है।
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प्राचीन परंपरा : भारत में संगीत की परंपरा अनादिकाल से ही रही है। हिन्दुओं के लगभग सभी देवी और देवताओं के पास अपना एक अलग वाद्य यंत्र है। विष्णु के पास शंख है तो शिव के पास डमरू, नारद मुनि और सरस्वती के पास वीणा है, तो भगवान श्रीकृष्ण के पास बांसुरी। खजुराहो के मंदिर हो या कोणार्क के मंदिर, प्राचीन मंदिरों की दीवारों में गंधर्वों की मूर्तियां आवेष्टित हैं। उन मूर्तियों में लगभग सभी तरह के वाद्य यंत्र को दर्शाया गया है। गंधर्वों और किन्नरों को संगीत का अच्छा जानकार माना जाता है।
सामवेद उन वैदिक ऋचाओं का संग्रह मात्र है, जो गेय हैं। संगीत का सर्वप्रथम ग्रंथ चार वेदों में से एक सामवेद ही है। इसी के आधार पर भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र लिखा और बाद में संगीत रत्नाकर, अभिनव राग मंजरी लिखा गया। दुनियाभर के संगीत के ग्रंथ सामवेद से प्रेरित हैं।
संगीत का विज्ञान : हिन्दू धर्म में संगीत मोक्ष प्राप्त करने का एक साधन है। संगीत से हमारा मन और मस्तिष्क पूर्णत: शांत और स्वस्थ हो सकता है। भारतीय ऋषियों ने ऐसी सैकड़ों ध्वनियों को खोजा, जो प्रकृति में पहले से ही विद्यमान है। उन ध्वनियों के आधार पर ही उन्होंने मंत्रों की रचना की, संस्कृत भाषा की रचना की और ध्यान में सहायक ध्यान ध्वनियों की रचना की। इसके अलावा उन्होंने ध्वनि विज्ञान को अच्छे से समझकर इसके माध्यम से शास्त्रों की रचना की और प्रकृति को संचालित करने वाली ध्वनियों की खोज भी की। आज का विज्ञान अभी भी संगीत और ध्वनियों के महत्व और प्रभाव की खोज में लगा हुआ है, लेकिन ऋषि-मुनियों से अच्छा कोई भी संगीत के रहस्य और उसके विज्ञान को नहीं जान सकता।
प्राचीन भारतीय संगीत दो रूपों में प्रचलन में था-1. मार्गी और 2. देशी। मार्गी संगीत तो लुप्त हो गया लेकिन देशी संगीत बचा रहा जिसके मुख्यत: दो विभाजन हैं- 1. शास्त्रीय संगीत और 2. लोक संगीत।
शास्त्रीय संगीत शास्त्रों पर आधारित और लोक संगीत काल और स्थान के अनुरूप प्रकृति के स्वच्छंद वातावरण में स्वाभाविक रूप से पलता हुआ विकसित होता रहा। हालांकि शास्त्रीय संगीत को विद्वानों और कलाकरों ने अपने-अपने तरीके से नियमबद्ध और परिवर्तित किया और इसकी कई प्रांतीय शैलियां विकसित होती चली गईं तो लोक संगीत भी अलग-अलग प्रांतों के हिसाब से अधिक समृद्ध होने लगा।
बदलता संगीत : मुस्लिमों के शासनकाल में प्राचीन भारतीय संगीत की समृद्ध परंपरा को अरबी और फारसी में ढालने के लिए आवश्यक और अनावश्यक और रुचि के अनुसार उन्होंने इसमें अनेक परिवर्तन किए। उन्होंने उत्तर भारत की संगीत परंपरा का इस्लामीकरण करने का कार्य किया जिसके चलते नई शैलियां भी प्रचलन में आईं, जैसे खयाल व गजल आदि। बाद में सूफी आंदोलन ने भी भारतीय संगीत पर अपना प्रभाव जमाया। आगे चलकर देश के विभिन्न हिस्सों में कई नई पद्धतियों व घरानों का जन्म हुआ। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान पाश्चात्य संगीत से भी भारतीय संगीत का परिचय हुआ। इस दौर में हारमोनियम नामक वाद्य यंत्र प्रचलन में आया।
दो संगीत पद्धतियां : इस तरह वर्तमान दौर में हिन्दुस्तानी संगीत और कर्नाटकी संगीत प्रचलित है। हिन्दुस्तानी संगीत मुगल बादशाहों की छत्रछाया में विकसित हुआ और कर्नाटक संगीत दक्षिण के मंदिरों में विकसित होता रहा।
हिन्दुस्तानी संगीत : यह संगीत उत्तरी हिन्दुस्तान में- बंगाल, बिहार, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात, जम्मू-कश्मीर तथा महाराष्ट्र प्रांतों में प्रचलित है।
कर्नाटक संगीत : यह संगीत दक्षिण भारत में तमिलनाडु, मैसूर, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश आदि दक्षिण के प्रदेशों में प्रचलित है।
वाद्य यंत्र : मुस्लिम काल में नए वाद्य यंत्रों की भी रचना हुई, जैसे सरोद और सितार। दरअसल, ये वीणा के ही बदले हुए रूप हैं। इस तरह वीणा, बीन, मृदंग, ढोल, डमरू, घंटी, ताल, चांड, घटम्, पुंगी, डंका, तबला, शहनाई, सितार, सरोद, पखावज, संतूर आदि का आविष्कार भारत में ही हुआ है। भारत की आदिवासी जातियों के पास विचित्र प्रकार के वाद्य यंत्र मिल जाएंगे जिनसे निकलने वाली ध्वनियों को सुनकर आपके दिलोदिमाग में मदहोशी छा जाएगी।
उपरोक्त सभी तरह की संगीत पद्धतियों को छोड़कर आओ हम जानते हैं, हिन्दू धर्म के धर्म-कर्म और क्रियाकांड में उपयोग किए जाने वाले उन 10 प्रमुख वाद्य यंत्रों को जिनकी ध्वनियों को सुनकर जहां घर का वस्तु दोष मिटता है वहीं मन और मस्तिष्क भी शांत हो जाता है।
प्राचीन भारती नृत्य शैली से ही दुनियाभर की नृत्य शैलियां विकसित हुई है। भारतीय नृत्य मनोरंजन के लिए नहीं बना था। भारतीय नृत्य ध्यान की एक विधि के समान कार्य करता है। इससे योग भी जुड़ा हुआ है। सामवेद में संगीत और नृत्य का उल्लेख मिलता है। भारत की नृत्य शैली की धूम सिर्फ भारत ही में नहीं अपितु पूरे विश्व में आसानी से देखने को मिल जाती है।
हड़प्पा सभ्यता में नृत्य करती हुई लड़की की मूर्ति पाई गई है, जिससे साबित होता है कि इस काल में ही नृत्यकला का विकास हो चुका था। भरत मुनि का नाट्य शास्त्र नृत्यकला का सबसे प्रथम व प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है। इसको पंचवेद भी कहा जाता है। इंद्र की साभ में नृत्य किया जाता था। शिव और पार्वती के नृत्य का वर्णन भी हमें पुराणों में मिलता है।
नाट्यशास्त्र अनुसार भारत में कई तरह की नृत्य शैलियां विकसित हुई जैसे भरतनाट्यम, चिपुड़ी, ओडिसी, कत्थक, कथकली, यक्षगान, कृष्णअट्टम, मणिपुरी और मोहिनी अट्टम। इसके अलावा भारत में कई स्थानीय संस्कृति और आदिवासियों के क्षेत्र में अद्भुत नृत्य देखने को मिलता है जिसमें से राजस्थान के मशहूर कालबेलिया नृत्य को यूनेस्को की नृत्य सूची में शामिल किया गया है।
मुगल काल में भारतीय संगीत, वाद्य और नृत्य को इस्लामिक शैली में ढालने का प्रासास किया गया जिसके चलते उत्तर भारती संगीत, वाद्य और नृत्य में बदलाव हो गया।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मुख्यत पांच प्रकार की होती है स्त्रियां, जानिए उनके लक्षण और स्वभाव
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1. शंखिनी (Shankhini)
शंखिनी स्वभाव की स्त्रियां अन्य स्त्रियों से थोड़ी लंबी होती हैं। इनमें से कुछ मोटी और कुछ दुर्बल होती हैं। इनकी नाक मोटी, आंखें अस्थिर और आवाज गंभीर होती है। ये हमेशा अप्रसन्न ही दिखाई देती हैं और बिना कारण ही क्रोध किया करती हैं।
ये पति से रूठी रहती हैं, पति की बात मानना इन्हें गुलामी की तरह लगता है। इनका मन सदैव भोग-विलास में डूबा रहता है। इनमें दया भाव भी नहीं होता। इसलिए ये परिवार में रहते हुए भी उनसे अलग ही रहती हैं। ऐसी स्त्रियां संसार में अधिक होती हैं।
ऐसी लड़कियां चुगली करने वाली यानी इधर की बात उधर करने वाली होती हैं। ये अधिक बोलती हैं। इसलिए लोग इनके सामने कम ही बोलते हैं। इनकी आयु लंबी होती हैं। इनके सामने ही दोनों कुल (पिता व पति) नष्ट हो जाते हैं। अंत समय में बहुत दु:ख भोगती हैं। ये उस समय मरने की बारंबार इच्छा करती हैं, लेकिन इनकी मृत्यु नहीं होती।
2. चित्रिणी(Chitrini) :-चित्रिणी स्त्रियां पतिव्रता, स्वजनों पर स्नेह करने वाली होती हैं। ये हर कार्य बड़ी ही शीघ्रता से करती हैं। इनमें भोग की इच्छा कम होती है। श्रृंगार आदि में इनका मन अधिक लगता है। इनसे अधिक मेहनत वाला काम नहीं होता, परंतु ये बुद्धिमान और विदुषी होती हैं।
गाना-बजाना और चित्रकला इन्हें विशेष प्रिय होता है। ये तीर्थ, व्रत और साधु-संतों की सेवा करने वाली होती हैं। ये दिखने में बहुत ही सुंदर होती हैं।
इनका मस्तक गोलाकार, अंग कोमल और आंखें चंचल होती हैं। इनका स्वर कोयल के समान होता है। बाल काले होते हैं। इस जाति की लड़कियां बहुत कम होती हैं। यदि इनका जन्म गरीब परिवार में भी हो तो ये अपने भविष्य में पटरानी के समान सुख भोगती हैं।
अधिक संतान होने पर भी इनकी लगभग तीन संतान ही जीवित रहती हैं, उनमें से एक को राजयोग होता है। इस जाति की लड़कियों की आयु लगभग 48 वर्ष होती है।
3. हस्तिनी (Hastini):- इस जाति की लड़कियों का स्वभाव बदलता रहता है। इनमें भोग-विलास की इच्छा अधिक होती है। ये हंसमुख स्वभाव की होती हैं और भोजन अधिक करती हैं। इनका शरीर थोड़ा मोटा होता है। ये प्राय: आलसी होती हैं।
इनके गाल, नाक, कान और व मस्तक का रंग गोरा होता है। इन्हें क्रोध अधिक आता है। कभी-कभी इनका स्वभाव बहुत क्रूर हो जाता है। इनके पैरों की उंगलियां टेढ़ी-मेढ़ी होती हैं। इनकी संतानों में लड़के अधिक होते हैं। ये बिना रोग के ही रोगी बनी रहती हैं। इनका पति सुंदर और गुणवान होता है।
अपने झगड़ालू स्वभाव के कारण ये परिवार को क्लेश पहुंचाती हैं। इनके पति इनसे दु:खी होते हैं। धार्मिक कार्यों के प्रति इनकी आस्था नहीं होती। इन्हें स्वादिष्ट भोजन पसंद होता है। इनकी परम आयु 73 वर्ष होती है। विवाह के 4, 8, 12 अथवा 16वे वर्ष में इनके पति का भाग्योदय होता है। इनके कई गर्भ खंडित हो जाते हैं। इन्हें अपने जीवन में अनेक कष्ट झेलने पड़ते हैं, लेकिन इसका कारण भी ये स्वयं ही होती हैं। इनके दुष्ट स्वभाव के कारण ही परिवार में भी इनकी पूछ-परख नहीं होती।
4. पुंश्चली (Punshchali) :- पुंश्चली स्वभाव की लड़कियों के मस्तक का चमकीला बिंदु भी मलीन दिखाई देता है। इस स्वभाव वाली महिलाएं अपने परिवार के लिए दु:ख का कारण बनती हैं।
इनमें लज्जा नहीं होती और ये अपने हाव-भाव से कटाक्ष करने वाली होती हैं। इनके हाथ में नव रेखाएं होती हैं जो सिद्ध (पुण्य, पद्म), स्वस्तिक आदि उत्तम रेखाओं से रहित होती हैं। इनका मन अपने पति की अपेक्षा पर पुरुषों में अधिक लगता है। इसलिए कोई इनका मान-सम्मान नहीं करता। सभी इनकी अपेक्षा करते हैं।
पुंश्चली स्त्रियों में युवावस्था के लक्षण 12 वर्ष की आयु में ही दिखाई देने लगते हैं। इनकी आंखें बड़ी और हाथ-पैर छोटे होते हैं। स्वर तीखा होता है।
यदि ये किसी से सामान्य रूप से बात भी करती हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे ये विवाद कर रही हैं। इनकी भाग्य रेखा व पुण्य रेखा छिन्न-भिन्न रहती है। इनके हाथ में दो शंख रेखाएं व नाक पर तिल होता है।
5. पद्मिनी (Padmini) :- समुद्र शास्त्र के अनुसार पद्मिनी स्त्रियां सुशील, धर्म में विश्वास रखने वाली, माता-पिता की सेवा करने वाली व अति सुंदर होती हैं। इनके शरीर से कमल के समान सुगंध आती है। यह लंबे कद व कोमल बालों वाली होती हैं। इसकी बोली मधुर होती है। पहली नजर में ही ये सभी को आकर्षित कर लेती हैं। इनकी आंखें सामान्य से थोड़ी बड़ी होती हैं। ये अपने पति के प्रति समर्पित रहती हैं।
इनके नाक, कान और हाथ की उंगलियां छोटी होती हैं। इसकी गर्दन शंख के समान रहती है व इनके मुख पर सदा प्रसन्नता दिखाई देती है।पद्मिनी स्त्रियां प्रत्येक बड़े पुरुष को पिता के समान, अपनी उम्र के पुरुषों को भाई तथा छोटों को पुत्र के समान समझती हैं।
यह देवता, गंधर्व, मनुष्य सबका मन मोह लेने में सक्षम होती हैं। यह सौभाग्यवती, अल्प संतान वाली, पतिव्रताओं में श्रेष्ठ, योग्य संतान उत्तपन्न करने वाली तथा आश्रितों का पालन करने वाली होती हैं।
इन्हें लाल वस्त्र अधिक प्रिय होते हैं। इस जाति की लड़कियां बहुत कम होती हैं। जिनसे इनका विवाह होता है, वह पुरुष भी भाग्यशाली होता है।
महादेवशाल धाम – जहाँ होती है खंडित शिवलिंग की पूजा – गई थी एक ब्रिटिश इंजीनियर की जान
13:10
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यह कहानी है 19 वी शताब्दी के मध्य की जब गोइलेकेरा के बड़ैला गाँव के पास बंगाल-नागपुर रेलवे द्वारा कलकत्ता से मुंबई के बीच रेलवे लाइन बिछाने का कार्य चल रहा था। इसके लिए जब मजदूर वहां खुदाई कर रहे थे तो उन्हें खुदाई करते हुए एक शिवलिंग दिखाई दिया। मजदूरों ने शिवलिंग देखते ही खुदाई रोक दी और आगे काम करने से मन कर दिया। लेकिन वहां मौजूद ब्रिटिश इंजीनियर ‘रॉबर्ट हेनरी’ ने इस सब को बकवास बताते हुए फावड़ा उठाया शिवलिंग पर प्रहार कर दिया जिससे की शिवलिंग दो टुकड़ो में बट गया पर इसका परिणाम अच्छा नहीं हुआ और शाम को काम से लौटते वक़्त उस इंजीनियर की रास्ते में ही मौत हो गई।
इस घटना के बाद मजदूरो और ग्रामीणो ने रेलवे लाइन की खुदाई का जोरदार विरोध किया। पहले तो अंग्रेज़ अधिकारी वही पर खुदाई करने पर अड़े रहे पर जब उन्हें महसूस हुआ की यह आस्था एवं विश्वास की बात है और ज़बरदस्ती करने के उलटे परिणाम हो सकते है तो उन्होंने रेलवे लाइन के लिए शिवलिंग से दूर खुदाई करने का फैसला किया। इसके कारण रेलवे लाइन की दिशा बदलनी पड़ी और दो सुरंगो का निर्माण करना पड़ा।
शिवलिंग के दोनों टुकड़ो की होती है पूजा :
खुदाई में जहां शिवलिंग निकला था आज वहां देवशाल मंदिर है तथा खंडित शिवलिंग मंदिर के गर्भगृह में स्थापित है। जबकि शिवलिंग का दूसरा टुकड़ा वहां से दो किलोमीटर दूर रतनबुर पहाड़ी पर ग्राम देवी ‘माँ पाउडी’ के साथ स्थापित है जहां दोनों की नित्य पूजा-अर्चना होती है। परम्परा के अनुसार पहले शिवलिंग और उसके बाद माँ पाउडी की पूजा होती है।
CIA के टॉप 10 सीक्रेट ऑपरेशन
12:41
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1.म्यांमार सीमा के अंदर की गई भारतीय सेना की कार्रवाई उजागर करने को लेकर काफी हो हल्ला मचा। ये पहली बार नहीं है कि भारतीय सेना ने ऐसी कोई कार्रवाई की हो। दुनिया के अन्य देश काफी बड़ी कार्रवाइयां करते रहे हैं। आज इस कड़ी में दुनिया के सबसे खतरनाक जासूसी संगठन सीआईए(अमेरिका) के टॉप 10 सीक्रेट मिलिटरी ऑपरेशनों के बारे में बताते है, जिनके बारे में आपने शायद ही सुना हो। अगली स्लाइड्स में जानिए सीआईए के टॉप सीक्रेट ऑपरेशंस
2.अमेरिका की ये सबसे खतरनाक खुफिया चाल थी। जिसे दुनिया काफी बाद में समझ पाई। सीआईए ने 1978 में अफगानी सिविल वार के समय इस खतरनाक योजना को अंजाम दिया। दरअसल, उस समय अफगानिस्तान पर कब्जे को लेकर दो कम्युनिस्ट शक्तियां लड़ रही थीं, जिनके सफाए के लिए अमेरिका ने एंटी कम्युनिस्ट विद्रोहियों को तमाम मदद दी। मुजाहिद्दीन को ट्रेनिंग दी, पैसा और हथियार दिए। लड़ाकू विमानों को भी मार गिरा देने की शक्ति दी। हालांकि बाद में ये अमेरिका के लिए ही घातक सिद्ध हुआ लेकिन उस समय अमेरिका की पूरी रणनीति सफल रही और सोवियत रूसी सेना को पीछे हटना पड़ा।
3.फ्योनिक्स कार्यक्रम को सीआईए ने स्पेशल अमेरिकी फोर्स, ऑस्ट्रेलियन फोर्स और दक्षिण वियतनामी कमांडरों के साथ मिलकर वियतनाम युद्ध के समय चलाया था। इसके तहत उत्तर वियतनामी फौज को नहीं, बल्कि उन आम लोगों को निशाना बनाया गया, जो कम्युनिस्ट को लेकर थोड़ी भी सहानुभूति रखते थे। फ्योनिक्स कार्यक्रम के तहत हजारों आम लोगों का अपहरण किया गया, यातनाएं दी गईं, यहां तक कि मौत के घाट उतार दिया गया। इस दौरान महिलाओं के साथ गैंगरेप किया गया, सांपों से डसाया गया, बिजली के झटके दिए गए, यहां तक कि संवेदनशील अंगों को शरीर से अलग कर दिया गया। लोगों को कुत्तों से कटवाया गया, तो घोड़ों के टापुओं से रौंद दिया गया। इसकी असलियत खुलने के बाद इसे बंद कर दिया गया, इसकी जगह एफ-6 कार्यक्रम ने ले ली।
4.इस ऑपरेशन को अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने 1960 के दशक से वियतनाम युद्ध के काफी बाद तक चलाया। इसके तहत छात्रों तक पर निगाह रखी गई और विरोध की आवाज उठते ही लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया। ऑपरेशन केऑस के तहत लाखों अमेरिकियों की जासूसी की गई। ये कार्यक्रम वाटरगेट प्रकरण के बाद बंद कर दिया गया। इसी तरह चलाए गए एक कार्यक्रम का 2011 में खुलासा हुआ, जब सीआईए पर आरोप लगे कि वो अमेरिकी मुस्लिमों की जासूसी कर रही है।
5.सीआईए का ये ऑपरेशन काफी सफल रहा। ऑपरेशन मॉकिंगबर्ड के तहत सैकड़ों पत्रकारों की नियुक्ति सीआईए ने की और उन्हें तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराकर पूरी दुनिया की जासूसी कराई। पत्रकार के पकड़े जाने पर कोई भय भी नहीं था, क्योंकि अमेरिकी सरकार इसे खोजी पत्रकारिता का नाम दे देती थी। ऑपरेशन मॉकिंगबर्ड से अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए को दुनिया भर में विरोधियों की तमाम गतिविधियों का पता चलता रहा। इस कार्यक्रम के खुलने के बाद काफी अमेरिकी पत्रकारों की हत्याएं अमेरिका विरोधी देशों में हुईं। डेनियल पर्ल जैसे मारे गए पत्रकार पर भी सीआईए एजेंट होने के आरोप लगे। ऑपरेशन मॉकिंगबर्ड के खुलने के बाद ईमानदार पत्रकारों की जिंदगी पर भी बन आई और पत्रकारिता खतरनाक पेशों में शुमार हो गई।
6.सीआईए ने पाकिस्तान के एटबाबाद में अल-कायदा के मुखिया ओसामा बिन लादेन को मारने से पहले उसकी पहचान सुनिश्चित की। जिसके लिए एटबाबाद में लंबे समय तक टीकाकरण कर डीएनए एकत्रित किए। ये सीआईए का खास कार्यक्रम था, जिसके दम पर ओसामा की पहचान और फिर खात्मा हो सका। पूरे ऑपरेशन को दुनिया ने तब जाना, जब ओसामा को अमेरिकी स्पेशल ऑपरेशन टीम ने मार गिराया।
7.भूमिगत परमाणु ऊर्जा चालित शहर बनाने की योजना सीआईए की थी, जो ग्रीनलैंड में बनाई गई थी। ग्रीनलैंड आधिकारिक रूप से अमेरिका का हिस्सा नहीं है, इसके बावजूद बर्फ के नीचे 200 लोगों के रहने के लिए ये शहर बनाया गया। जहां परमाणु हमले की स्थिति में भी सुरक्षित रहा जा सके। इस छोटे से शहर का पता लगाना बेहद मुश्किल था। जहां जिम, लाइब्रेरी, थिएटर जैसी सुविधाएं थीं। यहां वैज्ञानिकों को रखा गया था। इसे बाद में एक डॉक्यूमेंटरी में भी दिखाया गया। इसे बाद में फौज के हवाले कर दिया गया, जहां 600 परमाणु मिसाइलों को रखा जाना था। इस तरह से रूस पर हमला आसानी से किया जा सकता था, जिसका रूस के पास कोई जवाब नहीं था। लेकिन इसे रूस की किस्मत समझें या कुछ और। तकनीकी खामियों की वजह से इस कार्यक्रम को बंद कर दिया गया, क्योंकि इस जगह को ठंडा बनाए रखने की वजह से 120 टन बर्फ हर माह नष्ट कर दी जाती थी। ये पर्यावरण के लिहाज से भी बेहद घातक सिद्ध हुई ।
8.ये कार्यक्रम सीआईए की तरफ से डोमेस्टिक ऑपरेशंस डिवीजन(डीओडी) ने चलाया। इसके तहत सीआईए के लिए खतरा बन सकने वाले उन सभी लोगों की जासूसी की गई, जो सीआईए का विरोध कर सकते थे। ऐसे लोगों की सूची बनाए जाने के साथ ही उनके अतीत की जानकारियां भी जुटाई गईं। प्रोजेक्ट रेसिस्टेंस के दौरान कई लोग रहस्यमय ढंग से गायब हो गए, जिनका अबतक पता नहीं चल सका है।
9.स्टारगेट प्रोजेक्ट अमेरिकी सरकार की तरफ से चलाया गया कार्यक्रम था। जिसके तहत दुश्मनों या विरोधी देशों के सैन्य ठिकानों पर दूरदर्शी उपकरणों की मदद से नजर रखी जाती थी। इसे रिमोट व्यूविंग प्रोग्राम के तहत चलाया गया। जॉर्ज जी मॉएड के किले को सैन्य हेडक्वार्टर में बदल दिया गया। बाद में मामले का खुलासा होने पर प्रोजेक्ट को 1995 में बंद कर दिया गया।
10.ऑपरेशन क्यूफायर को ग्वाटेमाला में चलाया गया, जिसके तहत कम्युनिस्ट नेताओं पर नजर रखी गई। इसी कार्यक्रम की मदद से चे-ग्वेरा को बोलिवियनों ने पकड़ लिया और टॉर्चर करके मौत के घाट उतार दिया। चे-ग्वेरा से मामले के जुड़ने और चे के मारे जाने के बाद सीआईए की काफी बदनामी हुई। हालांकि सीआईए का ये प्रोजेक्ट काफी सफल रहा।
11.ऑपरेशन वॉशटब को सीआईए ने ग्वाटेमाला को सोवियत संघ का नजदीकी बताकर बदनाम करने के लिए चलाया था। इसके तहत सीआईए ने निकारागुआ में फर्जी रूसी जंगी जहाज तैनात कराए। भले ही ऑपरेशन वॉशटब पूरी तरह से सफल नहीं हुआ, पर उस दौरान ग्वाटेमाला को खासी बदनामी उठानी पड़ी। इसी नाम से 1950 के दशक में फ्लोरिडा में भी सीआईए ने ऐसा ही प्रोजेक्ट चलाया। जिसमें 1950-1959 के बीच 89 प्रशिक्षित एजेंट्स सोवियत संघ के प्रशासन को भेदने के लिए भेजे गए। इस प्रोजेक्ट का खुलासा 2014 में अमेरिकी सरकार द्वारा जारी दस्तावेजों से हुआ
जानिए भारत के तीन सबसे घातक ज़हरीले सांपों के बारे में जो है सबसे ज्यादा मौतों के जिम्मेदार
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कोबरा – काला सांप होता है। इसके फन से इसकी पहचान आसानी से की जा सकती है।
रसेल वाइपर – देसी भाषा में इसे दीगड़ भी कहते हैं। भूरे रंग का सांप होता है और उस पर काले रंग के गोल धब्बे होते हैं। इसके फुंफकारने की आवाज काफी तेज होती है, जिसे दस से बीस फीट दूर से सुना जा सकता है।
करैत : यह सांप पतला और काले रंग का हाेता है। काले रंग के साथ-साथ इसकी चमड़ी पर सफेद रंग की धारी भी होती है।
इन तीन सांपाें के काटने से होती है सबसे ज्यादा मौत
सर्प विशेषज्ञों के अनुसार कोबरा, रसेल वाइपर और करैत के काटने से ज्यादा मौतें होती हैं। इन सांपों का जहर इतना खतरनाक होता है कि इसकी एक बूंद ही 20 से 25 लोगों को मौत की नींद सुला सकती है। इनके अलावा किंग कोबरा, गोल्डन कोबरा सहित अन्य जहरीले सांप भी भारत में पाए जाते हैं लेकिन इंसानी बस्ती में ये सांप कम ही मिलते हैं।
सांप के काटने पर लगती है खूब प्यास, आती है नींद
सर्प विशेषज्ञों के अनुसार यदि सांप ने काट लिया हो और कोई इसे देख नहीं पाया हो, तो शरीर के इन लक्षणों से समझा जा सकता है कि जहरीले सांप ने काटा है। उन्होंने बताया कि सांप का जहर शरीर में जाने के बाद खून के थक्के जमने लगते हैं। साथ ही, गला सूखने लगता है और खूब प्यास लगती है। इसके साथ ही नींद भी आती है। जहां सांप काटता है, वहां सुई के चुभने जैसा दर्द होता है और थोड़ा-सा खून आता है।
सांप काटे तो क्या करें और क्या न करें
यदि सांप काट ले तो जिस जगह सांप ने काटा है, उसके पास एक चीरा लगा लें। साथ ही काटने की जगह के दोनों तरफ कस के बांध लें। इससे जहर शरीर में नहीं फैलेगा। इन सबके साथ आधे घंटे के अंदर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़ें। जहरीला सांप काटने पर बार-बार आंख बंद होती है, नींद आती है। इस बात का ख्याल रखना है कि आपकी नींद न लग जाए।
ये चर्चित सांप नहीं होते जहरीले :
घोड़ा पछाड़ : भूरे रंग का होता है। मान्यता है कि यह उड़ता है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह सांप जम्प मारता है। यह सांप मोटा और काफी बड़ा होता है, लेकिन जहरीला नहीं होता।
दो मुहां : काले रंग का सांप होता है। ज्यादातर समय सुस्त पड़ा रहता है। इसका मुहं और पूंछ एक जैसे आकार की होने के कारण इसे दो मुहां सांप भी कहते हैं, लेकिन इसका एक ही मुंह होता है। यह सांप काटता भी नहीं है। अकसर रेतीली जमीन पर मिलता है।
आतंकियों की मौत पर आखिरी नमाज न पढ़ने का फतवा जारी
02:31
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आला हजरत दरगाह के मौलवियों ने एक नया फतवा जारी किया है, जिसमें आतंकवाद से जुड़े किसी भी शख्स और उसके हिमायतियों को दफन करने से पहले पढ़ी जाने वाली आखिरी नमाज पर रोक लगा दी गई है।
ईद के मौके पर एक कड़ा संदेश देते हुए बरेली के प्रभावशाली मदरसे के मौलवियों ने कहा कि अगर कोई आतंकवादी के जुड़े अपने संबंधों की वजह से मारा जाता है तो उसे दफन करते समय 'नमाज-ए-जनाजा' नहीं पढ़ा जाएगा। गौरतलब है कि इस्लाम में किसी को दफन करने से पहले यह प्रार्थना बहुत ही महत्वपूर्ण है।
मस्जिद में ईद की इबादत के बाद दरगाह के मौलवियों ने अपने समर्थकों से आतंकवाद से जुड़े लोगों का बहिष्कार करने की अपील की। दरगाह अला हजरत की एक शाखा तहरीक-ए-तहफ्फुज सुन्नियत के जनरल सेक्रेटरी मुफ्ती मोहम्मद सलीम नूरी ने कहा कि हम आतंकवाद के खिलाफ अपना कड़ा विरोध दर्ज कराना चाहते हैं।
ईद के इस मौके पर सुन्नी बरेलवी मरकज ने एक कड़ा संदेश भेजा है कि कोई भी मौलाना, मुफ्ती या कोई अन्य धार्मिक नेता आतंकवाद से जुड़े किसी भी शख्स को दफन करने से पहले 'नमाज-ए-जनाजा' नहीं पढ़ेगा। तहरीक-ए-तहफ्फुज सुन्नियत को प्रगतिशील फतवे जारी करने के लिए जाना जाता है।
सौजन्य: INDIA TIMES NEWS
बॉक्स ऑफिस रेकॉर्ड तोड़ने की राह पर है सलमान की 'बजरंगी भाईजान'
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अभी आपने नहीं देखी हो फिल्म तो जरूर पढ़िए 'बजरंगी भाईजान' का रिव्यू
गौरतलब है कि यह फिल्म करीब 5000 थिऐटर्स में लगी है और हर थिऐटर में 90 -95 % दर्शकों की भीड़ जुट रही है।
सलमान की इस फिल्म ने थिऐटरों में धूम मचा रखी है और फिल्म की तीन दिनों की अडवांस बुकिंग भी पिछली सभी फिल्मों के मुकाबले रेकॉर्ड तोड़ बताई जा रही है। क्रिटिक्स की तारीफों में इसे फैमिली के साथ देखने वाली मूवी बताई गई है, जिससे दर्शकों की भीड़ थिऐटरों में उमड़ती जा रही है।
तरण ने ट्विटर पर कहा है, 'ईद से पहले दिन शुक्रवार को बजरंगी भाईजान ने 27.25 करोड़ की कमाई की है और ईद की वजह से आज से बिज़नस और ऊपर बढ़ने वाला है। पिछले साल सलमान की फिल्म किक ने 26.40 करोड़ की कमाई की थी।' ट्रेड एक्सपर्ट तरण आदर्श की मानें तो फिल्म की कमाई काफी अच्छी होनेवाली है। उनकी मानें तो उम्मीद है कि यह फिल्म वीकेंड भर में 100 करोड़ की कमाई कर जाएगी। वैसे, इसका श्रेय सलमान के स्टारडम और ईद के कॉम्बिनेशन को दिया जा रहा है।
सौजन्य: INDIA TIMES NEWS
पाकिस्तान ने फिर तोड़ा सीज़फायर, पिछले 5 दिनों में 7वीं बार किया उल्लंघन
02:12
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नई दिल्ली: लगातार अपनी हरकतों को ज़ारी रखते हुए पाकिस्तान ने एक बार फिर सीजफायर का उल्लंघन किया है, रविवार रात जम्मू के पुंछ में शाहपुर केरनी में देर तक पाकिस्तान की तरफ से जमकर फायरिंग होती रही.
पाकिस्तान ने पिछले 5 दिनों में 7 बार भारत की सीमा में फायरिंग की और सीजफायर को तोड़ा है.
इससे पहले पाकिस्तान ने गुरुवार को जम्मू सेक्टर में सीजफायर का उल्लंघन किया था. गुरूवार को पाकिस्तान की तरफ से गोलाबारी में एक महिला की मौत हो गई और बीएसएफ के एक जवान समेत दो लोग घायल हुए थे. भारत ने पाकिस्तान की ओर से जारी इस गोलाबारी के खिलाफ कड़ा विरोध भी दर्ज कराया था लेकिन पाकिस्तान इससे भी सुधरता हुआ नज़र नहीं आता.
हाल ही में रूस में ब्रिक्स बैठक के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ से मुलाकात की थी. जिसके बाद से ये कयास लगाए जा रहे थे कि शायद सीमा पर फैला तनाव अब थोड़ा कम होगा लेकिन मुलाकात के बाद भी हालत जस के तस बने हुए हैं.
हाल ही में खबरों के मुताबिक ये पता चला था कि बॉर्डर पर तनाव और पाक द्वारा की गई बयानबाजियों के बावजूद पाकिस्तानी रेंजर्स का एक दल सितंबर में भारत आने वाला है. इस दौरे में पाकिस्तानी रेंजर्स भारतीय बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) के साथ डीजी स्तर की बातचीत होगी.
सौजन्य: ABP NEWS
दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति पर चीन हुआ सख्त
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तिब्बत के शीर्ष आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा द्वारा अपने उत्तराधिकारी के मुद्दे पर लगातार दिए जा रहे जोर पर सवाल उठाते हुए शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने अपनी एक टिप्पणी में कहा, ‘14वें दलाई लामा ऐसे कह रहे हैं मानो सदियों पुरानी यह व्यवस्था उनका निजी मामला है।’ न्यूयॉर्क टाइम्स को हाल में दिए गए एक इंटरव्यू में दलाई लामा ने संकेत दिए थे कि वह निर्वासित तिब्बती नागरिकों के बीच एक जनमत संग्रह और चीन में रह रहे तिब्बतियों के बीच विचार-विमर्श कराएंगे कि क्या किसी नए दलाई लामा को उनका उत्तराधिकारी होना चाहिए।
80 साल के दलाई लामा ने अखबार को बताया कि ‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि वह नियुक्ति की प्रक्रिया के बारे में दलाई लामा से ज्यादा जानती है।’ शिन्हुआ में टिप्पणी ने कहा, ‘केंद्र सरकार का अधिकार हमेशा से अहम रहा है। ऐतिहासिक घटनाएं दिखाती हैं कि इस प्रक्रिया में केंद्र सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण है।’
शिन्हुआ ने अपनी टिप्पणी में कहा, ‘दलाई लामा’ की उपाधि को ‘ओशन ऑफ विजडम’ भी कहा जाता है। चीन की केंद्र सरकार ने 1653 में पांचवें दलाई लामा को आधिकारिक तौर पर यह उपाधि दी। इसके बाद से दलाई लामा की सभी उपाधियों के लिए चीन की केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी है। सरकार इस प्रक्रिया को अहम मुद्दा मानती है जो संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है।’
समाचार एजेंसी ने कहा, ‘पिछले 500 साल से गेलग संप्रदाय ने एक नियमित प्रक्रिया का इस्तेमाल किया है । इस प्रक्रिया के जरिए वर्तमान यानी 14वें दलाई लामा खुद तिब्बती बौद्ध धर्म पंथ के ‘येलो हैट’ यानी गेलुग के प्रमुख भिक्षु बने।’ दलाई लामा निर्वासन में जैसे-जैसे उम्रदराज हो रहे हैं, चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि उनके उत्तराधिकारी को नियुक्त करने में उसकी मुख्य भूमिका है ताकि तिब्ब्ती बौद्ध के सर्वोच्च आध्यात्मिक और राजनीतिक बलों पर वह अपनी मजबूत पकड़ कायम कर सके। तिब्बत के लोग दलाई लामा को साक्षात बुद्ध मानते हैं, लेकिन चीन उन्हें अलगाववादी मानता है।
सौजन्य: ZEE NEWS
अमेरिका में हिंदू मंदिर के साइनबोर्ड पर बरसाईं गोलियां, 60 से ज्यादा हुए छेद
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शेरिफ कार्यालय को जांच का जिम्मा
फोर्सिथ काउंटी के शेरिफ कार्यालय ने एक रिपोर्ट में कहा कि 4 जुलाई के दोपहर से लेकर पिछले शनिवार को दोपहर एक बजे के बीच यह घटना घटी. रिपोर्ट के अनुसार शेरिफ कार्यालय प्रस्तावित मंदिर के साइनबोर्ड पर गोलियां चलाए जाने की घटना की जांच कर रहा है.
साइनबोर्ड को 200 डॉलर का नुकसान
'विंसटन सलेम' जर्नल के अनुसार शेरिफ कार्यालय में उपप्रमुख ब्राड स्टैनली ने कहा कि एक अधिकारी को साइनबोर्ड के पास कारतूस के खोल मिले जो बंदूक से दागी गई गोलियों से मेल खाते हैं. स्टैनली के अनुसार साइनबोर्ड को 200 डॉलर का नुकसान हुआ. जांचकर्ताओं को कोई सुराग नहीं मिला है और ना ही कोई संदिग्ध उनकी नजर में आया है.
ओम हिंदू संगठन की ओर से मंदिर निर्माण
उत्तर कैरोलीना का ओम हिंदू संगठन क्लेम्मेंस में 3600 वर्ग फीट मंदिर बनाने की योजना बना रहा है और उसने वहां 7.6 एकड़ जमीन खरीदी है. ओम हिंदू ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, 'हम बतौर अमेरिकी लोग घृणा से लड़ रहे हैं और सहिष्णुता, सम्मान एवं समावेश के संवर्धन के लिए खड़े हैं.'
सौजन्य: AAJ TAK NEWS
छत्तीसगढ़ : स्कूल में शौचालय बनाने के लिए हो रही थी खुदाई, निकल आए सोने के सिक्के
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सिक्के मिलने की सूचना तुरंत ही प्रधानपाठक एवं शिक्षकों को दी गई। वहीं, पुरातत्व विभाग ने धोबनी पहुंचकर सिक्कों का निरीक्षण किया तो पाया कि सिक्कों पर गरुड़ की आकृति तथा शंख व चक्र बना हुआ। पुरातत्वविदों ने इन सिक्कों को 5वीं-6वीं शताब्दी का बताया है।
ग्राम धोबनी सिमगा ब्लॉक के कबीर धर्मनगर दामाखेड़ा का आश्रित ग्राम है। यहां के प्राइमरी स्कूल में शौचालय निर्माण के लिए गड्ढे की खुदाई में लगे भोलाराम एवं परसदास को सोने के सिक्के मिले। पुरातत्व विभाग के उपसंचालक जी. आर. भगत ने ग्राम धोबनी का निरीक्षण किया।
उन्होंने बताया कि भोलाराम से दो व परसदास से एक सोने के सिक्के प्राप्त हुए हैं। उनका कहना है कि सिक्के 5वीं-6वीं शताब्दी के हैं। सिक्के सिरभपुरी राजवंश के हैं।
सिक्कों पर गरूड़ की आकृति तथा शंख चक्र बना हुआ है। पुरातत्व विभाग के संचालक राकेश चतुवेर्दी का इस मामले में कहना है कि धोबनी में मिले तीन सिक्कों से छत्तीसगढ़ के इतिहास संबंधी और भी जानकारियां मिल सकती हैं।
सौजन्य: NDTV NEWS
महारानी के नाजी सैल्यूट की तस्वीरों को लेकर बकिंघम पैलेस अखबार से नाराज
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'द सन' ने 1933 की इस तस्वीर को अपने पहले पन्ने पर प्रकाशित किया और उसके स्रोत का खुलासा करने से इनकार कर दिया।
बकिंघम पैलेस के एक प्रवक्ता ने शनिवार रात कहा, यह निराशाजनक है कि आठ दशक पहले बनी फिल्म स्पष्ट रूप से महारानी के व्यक्तिगत पारिवारिक लेखागार से हासिल की गई और उसका इस तरह दुरुपयोग हुआ। तब सात साल की राजकुमारी एलिजाबेथ स्कॉटलैंड के बालमोरल कैसल में भावी राजा किंग जॉर्ज पंचम द्वारा लिए गए एक ब्लैक एंड व्हाइट फुटेज में कैमरे के पास खेलती नजर आ रही हैं।
महारानी, उनकी बहन राजकुमारी मार्ग्रेट, उनकी मां महारानी एलिजाबेथ और उनके चाचा प्रिंस ऑफ वेल्स (एडवर्ड अष्ठम) संभवत: हिटलर का मजाक उड़ाने के लिए नाजी शैली में अभिवादन कर रहे हैं।
अखबार के प्रबंध संपादक स्टिग अबेल ने कहा कि वह फुटेज के ‘दुरुपयोग’ के आरोप को खारिज करते हैं। उन्होंने कहा कि अखबार ने इसका इस्तेमाल केवल इसलिए किया, क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण एवं दिलचस्प मुद्दा है और राष्ट्रीय एवं जन हित से जुड़ा चर्चा का विषय है।
सौजन्य: NDTV NEWS
सलमान की ‘बजरंगी भाईजान’ ने दूसरे दिन 36.50 करोड रुपये की कमाई की
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मुम्बई: अभिनेता सलमान खान अभिनीत ‘‘बजरंगी भाईजान’’ ने रिलीज होने के दूसरे दिन 36.50 करोड रुपये की कमाई की है. वितरकों के अनुसार यह फिल्म अभिनेता सलमान खान की बाक्स आफिस पर एक दिन में सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म बन गई है.
इससे पहले एक दिन में सबसे अधिक कमाई करने वाली सलमान की फिल्म ‘‘एक था टाइगर’’ थी जिसने 32 करोड रुपये से अधिक की कमाई की थी. पहले दिन की अपेक्षा रिलीज होने के दूसरे दिन कल ईद पर फिल्म की कमाई में तेज बढोतरी दर्ज की गई. पहले दिन फिल्म ने 27.25 करोड रुपये की कमाई की थी.
वितरकों ने कहा, ‘‘इरोस इंटरनेशनल और एसकेएफ की बजरंगी भाईजान ने दूसरे दिन भारत में 36.50 करोड रुपये का संग्रह किया. यह सलमान खान अभिनीत किसी फिल्म की एक दिन में सबसे अधिक कमाई है.’’
सौजन्य: PRABHAT KHABAR NEWS
इस बच्ची को इसके बाप ने ही बना डाला मां
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चिकित्सकों ने जांच में पाया कि दक्षिणपूर्वी ब्राजील की स्कूली लड़की सात महीने की गर्भवती है. ब्रिटिश वेबसाइट 'मेट्रो' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, लड़की की कम उम्र के बावजूद बीते सप्ताह उसने सुरक्षित रूप से बच्चे को जन्म दिया. यह माना जा रहा है कि लड़की तब गर्भवती हुई, जब उसके 40 वर्षीय सौतेले पिता ने कथित तौर पर उसका यौन उत्पीड़न किया.
पिता ने दी थी धमकी
सौतेले पिता पर बच्ची से रेप और अवैध हथियार रखने का आरोप लगाया गया है. लड़की के पिता ने कहा कि उसे यह जानकारी नहीं थी कि लड़की गर्भवती है और उसने यह गौर नहीं किया कि उसकी बेटी का पेट सामान्य से अधिक बड़ा हो गया है. लड़की ने पुलिस को बताया कि उसके सौतेले पिता ने उसे धमकी दी थी कि यदि उसने किसी को इस बारे में बताया तो वह उसकी मां और भाई की हत्या कर देगा.
सौजन्य: AAJ TAK NEWS
भारत और हिंदू विरोध के लिए हो रहा है IITs का इस्तेमाल: RSS
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नई दिल्ली
एफटीआईआई के अध्यक्ष के तौर पर गजेंद्र चौहान की नियुक्ति का विरोध करने वाले छात्रों को 'हिंदू विरोधी' कहने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर में एक और विवादास्पद लेख छपा है। संघ ने कहा है कि आईआईटी जैसे नामी संस्थानों पर 'भारत विरोधी और हिंदू विरोधी' गतिविधियों का अड्डा बना दिया गया था ।
संघ के मुखपत्र में छपे लेख में संघ ने कहा है, 'प्रीमियम शैक्षणिक संस्थानों पर अब भी वाम और कांग्रेस का कब्जाहै और दोनों ही दल गवर्नरों और निदेशकों के माध्यम से 'वैचारिक नियंत्रण' करने में 'माहिर' हैं।'लेख में कहा है कि कुछ आईआईएम द्वारा सरकार के फैसले के विरोध के पीछे राजनीतिक उद्देश्य थे।
इस लेख में विभिन्न विषयों पर मंत्रालयों का विरोध करने के लिए जानेमाने वैज्ञानिक और आईआईटी बॉम्बे के पूर्व अध्यक्ष अनिल काकोदकर, आईआईएम अहमदाबाद के अध्यक्ष ए एम नाइक की भी आलोचना की है।
इस लेख में दावा किया गया कि यूपीए के शासनकाल में ही 'पवित्र नगरी हरिद्वार' स्थित आईआईटी रुड़की में यूपीए सरकार के दौरान मांसाहारी भोजन परोसा गया। इसके साथ ही एनआईटी राउलकेला में छात्रों को कम्युनिटी हॉल में पूजा करने से रोका गया। लेख में आगे कहा गया, 'ये घटनाएं दिखाती हैं कि सरकार द्वारा करदाताओं के पैसे से वित्त पोषित ये संस्थान, भारत विरोधी और हिंदू विरोधी गतिविधियों के केंद्र बनते जा रहे हैं।'
इस लेख में कहा गया कि नैतिकता के अभाव वाले ये संस्थान छात्रों को भ्रमित कर रहे हैं। ये गतिविधियां या तो निदेशक मंडल की नजरों में आई नहीं या फिर उन्होंने इसे दरकिनार कर दिया। निदेशक मंडल को भी भारत विरोधी और हिंदू विरोधी गतिविधियों पर नजर खनी चाहिए।
कई आईआईएम ने मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा पेश किए गए ड्राफ्ट बिल का इस आधार पर विरोध कर रहे है कि इससे सरकार को इन संस्थानों को चलाने की असीमित ताकत मिल जाएगी।
लेख के मुताबिक इस प्रस्तावित बिल के बाद राजनीतिक दलों के लिए निदेशकों और अध्यक्षों की नियुक्ति करना मुश्किल हो जाएगा और इसी वजह से कई लोग इस बिल का विरोध कर रहे हैं। लेख में कहा गया है कि प्रस्तावित बिल के अनुसार निदेशक और अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए विजिटर- यानी राष्ट्रपति की सहमति अनिवार्य होगी न कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल की ।
सौजन्य: INDIA TIMES NEWS
शाहिद कपूर को एक थप्पड़ लगाऊंगा और सब ठीक हो जाएगा: अहमद
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अब इस मामले में नया और मसालेदार मोड़ आ गया है। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि अहमद को शाहिद की शादी में बुलाया ही नहीं गया। इस पर अहमद ने जवाब दिया है कि उन्हें बुलाया गया था, पर वे किसी कारण से पहुंच नहीं पाए।
अहमद ने चुटकी लेते हुए यह भी कहा कि हमें मिले महीनों हो गए हैं, जब मिलेंगे तो उसे एक थप्पड़ लगाऊंगा और सब ठीक हो जाएगा।
अहमद खान इससे पहले भी अजीज दोस्त शाहिद से वैचारिक मतभेद की बातें स्वीकारते रहे हैं। अहमद के मुताबिक जब दो लोग एक दूसरे के इतने करीब हों जितना मैं और शाहिद, तो असहमति होना जरूरी है।
सौजन्य: INDIA TIMES NEWS
मॉनसून सेशन में लैंड बिल को लटका सकती है मोदी सरकार
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आम सहमति न बन पाने की वजह से मंगलवार को शुरू होने जा रहे संसद के मॉनसून सत्र के दौरान लैंड बिल को पेश किए जाने की संभावना नहीं है और इससे संबंधित अध्यादेश को अप्रत्याशित रूप से चौथी बार जारी किया जा सकता है। सरकारी सूत्रों ने बताया, 'आम सहमति न बन पाने के कारण मॉनसून सत्र के दौरान विधेयक को संसद में पेश किए जाने की संभावना नहीं है।'
इस विधेयक पर विचार कर रही BJP सांसद एस. एस. अहलूवालिया की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति की योजना अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए तीन अगस्त तक दो सप्ताह का समय विस्तार और मांगने की है। संकेत हैं कि समिति मॉनसून सत्र के दौरान अपनी रिपोर्ट नहीं दे पाएगी और समय में विस्तार की मांग कर सकती है।
सौजन्य: INDIA TIMES NEWS
आयकर विभाग ने शुरू किया एक करोड़ नए करदाता बनाने का अभियान
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सीबीडीटी द्वारा जारी आदेश में क्षेत्रवार लक्ष्य तय किया गया है। महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बडे शहरी केंद्र पुणे को 10.14 लाख नए आयकरदाताओं को कर दायरे में लाने का लक्ष्य दिया गया है।
उत्तर-पश्चिम के राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा को 9.30 लाख नए लोगों को आयकर के दायरे में लाने का लक्ष्य दिया गया है। वहीं आंध्र प्रदेश व तेलंगाना को 7.93 लाख नए आयकरदाता जोड़ने का लक्ष्य दिया गया है।
इसी तरह गुजरात को 7.86 लाख, तमिलनाडु को 7.64 लाख, पश्चिम बंगाल और सिक्किम को 6.91 लाख तथा मुंबई क्षेत्र को 6.23 लाख नए आयकरदाताओं को जोड़ने का लक्ष्य दिया गया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के फील्ड फार्मेशन को 5.32 लाख नए आयकरदाताओं का लक्ष्य होगा।
सौजन्य: INDIA TIMES NEWS
अमेरिका: निर्माणाधीन मंदिर के साइनबोर्ड पर गोलियां चलाई गईं
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अमेरिका के उत्तर कैरोलीना प्रांत में बनने वाले एक मंदिर के साइनबोर्ड पर गोलियां चलाई गईं जिससे उसमें 60 से अधिक छेद हो गए। इस घटना से भारतीय समुदाय स्तब्ध है और प्रशासन ने की जांच का आदेश दिया है। फोर्सिथ काउंटी के शेरिफ ऑफिस ने एक रिपोर्ट में कहा कि चार जुलाई के दोपहर से लेकर पिछले शनिवार को दोपहर एक बजे के बीच यह घटना घटी।
रिपोर्ट के अनुसार शेरिफ कार्यालय प्रस्तावित मंदिर के साइनबोर्ड पर शॉटगन से गोलियां चलाए जाने की घटना की जांच कर रहा है। साइनबोर्ड में 60 से अधिक छेद हो गए थे। विंसटन सलेम जर्नल के अनुसार शेरिफ ऑफिस में उपप्रमुख ब्राड स्टैनली ने कहा कि एक अधिकारी को साइनबोर्ड के पास कारतूस के खोल मिले जो बंदूक से दागी गई गोलियों से मेल खाते हैं।
स्टैनली के अनुसार साइनबोर्ड को 200 डॉलर का नुकसान हुआ। जांचकर्ताओं को कोई सुराग नहीं मिला है और न ही कोई संदिग्ध उनकी नजर में आया है. उत्तर कैरोलीना का ओम हिंदू संगठन क्लेम्मेंस में 3600 वर्ग फीट मंदिर बनाने की योजना बना रहा है और उसने वहां 7.6 एकड जमीन खरीदी है। ओम हिंदू ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, 'हम बतौर अमेरिकी लोग घृणा से लड़ रहे हैं और सहिष्णुता, सम्मान एवं समावेश के संवर्धन के लिए खडे हैं।'
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सलमान की फिल्म देखकर रो पड़े आमिर!
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बॉलिवुड मे मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान ने जब बॉलिवुड के दबंग सलमान खान की हालिया रिलीज फिल्म 'बजरंगी भाईजान' देखी तो अपने आंसू नहीं रोक पाए।
फिल्म देखकर निकले आमिर कुछ इस तरह कैमरे में कैद हो गए।सलमान ने खासतौर आमिर और उनके परिवार को इस फिल्म के लिए आमंत्रित किया था।
फिल्म देखने के बाद आमिर ने फिल्म और कलाकारों की तारीफ में एक के बाद एक कई ट्वीट भी किए।
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केजरीवाल के खिलाफ कॉन्स्टेबल ने कराई शिकायत दर्ज
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दिल्ली पुलिस के एक कॉन्स्टेबल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज कराई है ।कॉन्स्टेबल का आरोप है कि हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान केजरीवाल ने पुलिसकर्मियों के बारे में कथित तौर पर एक अभद्र शब्द का इस्तेमाल किया।
पुलिस उपायुक्त (दक्षिण-पूर्व) मनदीप सिंह रंधावा ने कहा कि गोविंदपुरी पुलिस थाने में तैनात एक कॉन्स्टेबल ने मुख्यमंत्री के खिलाफ शिकायत दाखिल की है। रंधावा ने कहा, 'यह एक असंज्ञेय अपराध है।' एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि गोविंदपुरी पुलिस थाने में तैनात कॉन्स्टेबल हरविंदर ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री ने इंटरव्यू के दौरान पुलिसकर्मियों के लिए कथित तौर पर 'ठुल्ला' शब्द का इस्तेमाल किया, जिससे उसे ठेस पहुंची।
अधिकारी ने कहा कि हरविंदर ने टीवी पर इंटरव्यू देखा था । उन्होंने कहा कि पुलिस आयुक्त बी एस बस्सी सहित अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के पास शिकायत भेज दी गई है । लाजपत नगर पुलिस थाने में भी एक अन्य कॉन्स्टेबल ने ऐसी ही एक शिकायत दर्ज कराई है । यह जानकारी एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दी।
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ऐशेजः ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड के खिलाफ दर्ज की 67 साल में सबसे बड़ी जीत
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मिशेल जॉनसन की अगुवाई में बोलर्स के कातिलाना प्रदर्शन से ऑस्ट्रेलिया ने रविवार को यहां लॉर्ड्स पर इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में चौथे दिन टी से कुछ देर बाद 405 रन की बड़ी जीत दर्ज करके पांच मैचों की ऐशेज सीरीज 1-1 से बराबर कर ली।
इंग्लैंड की टीम 509 रन के रेकॉर्ड लक्ष्य का पीछा करते हुए चौथे दिन केवल 37 ओवर में 103 रन पर ढेर हो गई। इस तरह से ऑस्ट्रेलिया ने टेस्ट क्रिकेट में रनों के लिहाज से नौंवी और ऐशेज में चौथी बड़ी जीत दर्ज की। यह ऐशेज में ऑस्ट्रेलिया की पिछले 67 साल में सबसे बड़ी जीत है। उसने इससे पहले इंग्लैंड को 1948 में लॉर्ड्स में ही 409 रन से हराया था।
ऑस्ट्रेलिया ने डेविड वॉर्नर (83) और स्टीवन स्मिथ (58) की तेजतर्रार पारियों की मदद से अपनी दूसरी पारी लंच से कुछ देर पहले दो विकेट पर 254 रन बनाकर समाप्त घोषित की। उसने अपनी पहली पारी आठ विकेट पर 566 रन बनाकर समाप्त घोषित की थी और फिर इंग्लैंड को 312 रन पर आउट करके 254 रन की बढ़त हासिल की थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के तेज और स्पिन मिश्रित आक्रमण के सामने इंग्लैंड दूसरी पारी में ताश के पत्तों की तरह बिखर गया। उसकी तरफ से सर्वाधिक स्कोर नौवें नंबर के बल्लेबाज स्टुअर्ट ब्रॉड (25) ने बनाया जिससे उनकी टीम तिहरे अंक में पहुंच पाई। ऑस्ट्रेलिया के लिए मिशेल जॉनसन ने 27 रन देकर तीन जबकि जोश हेजलवुड और नाथन ल्योन ने दो-दो तथा मिशेल स्टार्क और मिशेल मार्श ने एक-एक विकेट लिया।
कार्डिफ के पहले टेस्ट में 169 रन से हारने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने लॉर्ड्स में प्रत्येक सीजन में दबदबा बनाए रखा। लंच के बाद इंग्लैंड के दोनों ओपनिंग बैट्समैन आधे घंटे के अंदर पविलियन लौट गए। एडम लिथ (सात) ने स्टार्क की गेंद पर विकेटकीपर पीटर नेविल को कैच थमाया। इसके बाद कप्तान ऐलेस्टेअर कुक (11) ने जॉनसन की बाहर जाती गेंद पर विकेट के पीछे कैच दिया जिससे स्कोर दो विकेट पर 23 रन हो गया।
गैरी बैलेन्स (14) आउट होने वाले तीसरे बल्लेबाज थे। मार्श की गेंद उनके बल्ले को चूमती हुई विकेट के पीछे गई और अपना पहला टेस्ट खेल रहे नेविल ने उसे खूबसूरती से कैच कर दिया। इयान बेल (11) की खराब फॉर्म जारी रही। स्पिनर ल्योन की गेंद पर उन्होंने आसान कैच थमाया। इसके कुछ देर बाद बेन स्टोक्स खाता खोले बिना रन आउट हो गए। इंग्लैंड ने लंच के बाद पांच विकेट पर 64 रन से अपनी पारी आगे बढ़ाई। उसने इसी स्कोर पर जोस बटलर (11) और मोईन अली (शून्य) के विकेट गंवाए जिन्हें जॉनसन ने आउट किया।
जो रूट (17) और ब्रॉड ने मिलकर स्कोर 100 रन के पार पहुंचाया लेकिन इसके बाद इंग्लैंड ने दो रन के अंदर आखिरी तीन विकेट भी गंवा दिए। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया ने सुबह बिना किसी नुकसान के आठ विकेट पर 108 रन से अपनी पारी आगे बढ़ाई। सलामी बल्लेबाज क्रिस रोजर्स (49) दो ओवर बाद ही चक्कर आने के कारण रिटायर्ड हर्ट हो गए। उन्होंने आज अपनी पारी में केवल पांच रन जोडे।
माइकल क्लार्क ने जब पारी समाप्त घोषित करने की घोषणा की तब वह स्वयं 32 रन और मिशेल मार्श 27 रन पर खेल रहे थे। इंग्लैंड की तरफ से केवल आफ स्पिनर मोईन (78 रन देकर दो विकेट) को इस पारी में सफलता मिली। उन्होंने वॉर्नर को कुक के हाथों कैच कराने के बाद स्मिथ की गिल्लियां भी बिखेरीं।
सौजन्य: INDIA TIMES NEWS
...तो संसद में ये स्टाइल अपनाएगी मोदी सरकार!
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मंगलवार से शुरू हो रहे संसद के मॉनसून सत्र के मद्देनजर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, स्मृति ईरानी, रवि शंकर प्रसाद और पीयूष गोयल सहित पार्टी के विभिन्न सहकर्मियों तथा पार्टी प्रवक्ताओं के साथ रणनीतिक बैठकें की जिस दौरान राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी मौजूद थीं।
इसके साथ ही, शाह ने रणनीति को और बेहतर बनाने के लिए जेटली और राजनाथ सिंह तथा वेंकैया नायडू जैसे अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की। बातचीत में भाग लेने के लिए चौहान भी बाद में दिल्ली पहुंच गए।
किसी का इस्तीफा नहीं लेने की बात स्पष्ट करते हुए बैठक में यह भी चर्चा हुई कि मंगलवार से शुरू हो रहे सत्र के दौरान संसद में इन मुद्दों पर विपक्ष के हमले का मुकाबला और सरकार एवं पार्टी के जवाब को कैसे सुसंगत किया जाएगा।
कांग्रेस ने धमकी दी है कि यदि राजे, विदेश मंत्री सुषमा और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान को हटाने की मांग नहीं मानी जाती है तो संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी जाएगी।
आईपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी के साथ संपर्क को लेकर वसुंधरा हमलों का सामना कर रही हैं। ललित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना कर रहे हैं। सुषमा पर भी ललित की मदद करने के आरोप हैं। व्यापमं घोटाले में चौहान विपक्ष के निशाने पर हैं। सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ महीनों से पार्टी को संकट में डाले हुए विवादास्पद मुद्दों पर भाजपा रक्षात्मक नहीं दिखना चाहती है।
पार्टी के मीडिया प्रकोष्ठ के प्रभारी श्रीकांत शर्मा ने बताया, ‘हम कांग्रेस के दुष्प्रचार अभियान का आक्रामक और प्रभावी तरीके से मुकाबला करेंगे।’ वह शाह की बैठक में मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि जहां तक ललित मोदी विवाद की बात है, कांग्रेस पूरी तरह से भ्रमित है। एक ओर तो वे ललित मोदी की टिप्पणियों को लेकर हमारे नेताओं के इस्तीफे मांग रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके पास प्रियंका गांधी, उनके पति रॉबर्ट वाड्रा और सोनिया गांधी की बहन के खिलाफ आरोपों का कोई जवाब नहीं है। हम इन पर उनका जवाब मांगेंगे।
भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी ने इस बात का भी जिक्र करने का फैसला किया है कि किस तरह से न्यायपालिका ने व्यापमं घोटाले में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह द्वारा चौहान को घसीटे जाने की कोशिशों पर संज्ञान लेने से शुरूआत में इनकार कर दिया था।
पार्टी का मानना है कि ललित मोदी के साथ सौदे में वसुंधरा या उनके बेटे दुष्यंत सिंह की ओर से कोई गलत काम नहीं किया गया। शाह से मुलाकात करने वालों में पार्टी की ओर से मीडिया में आने वाले चेहरों में एमजे अकबर, श्रीकांत शर्मा और संबित पात्रा शामिल हैं।
सुषमा को हटाने के लिए दबाव डालने के अलावा विपक्ष ने संकेत दिया है कि वह मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को भी निशाना बनाएगी जो शैक्षणिक प्रमाणपत्र के सिलसिले में आरोपों का सामना कर रही हैं।
चावल घोटाले के सिलसिले में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह भी निशाना बनाए जा सकते हैं। सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (कांग्रेस) को निशाना बनाए जाने का अनुमान है जो आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में संलिप्त हैं। संसद में अपनी सरकार के समक्ष चुनौतियां पेश आने की संभावनाओं का संकेत देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को एनडीए के सभी घटक दलों की पहली बैठक बुलाई है ताकि विपक्ष का मुकाबला करने की रणनीति पर चर्चा की जा सके।
अपने आवास पर सहयोगी दलों के साथ बैठक से पहले मोदी दो सर्वदलीय बैठकों में भी शरीक हो सकते हैं जिन्हें संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सत्र के सुगमता से चलने को सुनिश्चित करने के तरीकों पर चर्चा के लिए बुलाई है।
संसद में विपक्ष के गर्म तेवर दिखने के आसार को भांपते हुए मोदी ने शुक्रवार को स्वीकार किया था कि मुकाबला होगा।
भाजपा नीत एनडीए के पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत है जबकि ऊपरी सदन (राज्यसभा) में संख्या बल कम है जहां कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है और जीएसटी तथा भूमि विधेयक सहित अहम विधेयकों के पारित होने की कुंजी अपने पास रखे हुए है।
एनडीए के वरिष्ठ मंत्रियों ने विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी पार्टियों के रुख को देखते हुए सरकार के विधायी कामकाज को आगे बढ़ाने की रणनीति का खाका तैयार करने के लिए गुरुवार को एक बैठक की थी।
सरकार ने मॉनसून सत्र के कामकाज के लिए 35 विषय को अंतिम रूप दिया है जिनमें नौ विधेयक शामिल हैं जो राज्यसभा में लंबित हैं और चार लोकसभा में लंबित हैं। इसके अलावा 11 नये विधेयक पेश किए जाएंगे।
Courtesy: NDTV
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