बिहार में गठबंधन की सियासत, अभी करना पड़ सकता है और इंतजार
पटना/नयी दिल्ली
: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन को लेकर जारी सियायत के बीच तरह-तरह के
कयास लगाये जाने लगे है. जनता परिवार के विलय की प्रक्रिया को लेकर कल सपा मुखिया
मुलायम सिंह यादव के यहां संपन्न बैठक में विलय पर कोई बात नहीं बन पायी. हालांकि,
अभी भी विलय की प्रक्रिया पर आगे बैठक कर इस पर
समुचित निर्णय लिये जाने की बात कही जा
उल्लेखनीय है कि
भाजपा से मुकाबला करने के लिए महागठबंधन में शामिल होने के राजद प्रमुख लालू
प्रसाद के आमंत्रण को अस्वीकार करते हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम
मांझी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए समय मांगा. मांझी ने कहा कि
उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर 25 मई से 28 मई के बीच मिलने
के लिए समय मांगा है, उस दौरान वह
दिल्ली में रहेंगे. मांझी द्वारा प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगना इस बात का
संकेत है कि उन्होंने भाजपा के खिलाफ मोर्चे में शामिल होने के लालू प्रसाद के
निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है. इससे पहले भी मांझी ने अनेक मंचों से स्पष्ट
किया कि वह ऐसे किसी मोर्चा या समूह में शामिल नहीं होंगे जिसमें नीतीश कुमार पक्ष
होंगे.
उधर, राजनीतिक जानकारों की मानें तो मांझी का यह कदम
महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद सहित कुछ भाजपा नेताओं ने
संकेत दिया है कि पूर्व मुख्यमंत्री उनके साथ आ सकते हैं. मांझी ने हिन्दुस्तानी
अवाम मोर्चा का गठन किया है और भाजपा की ओर उन्होंने झुकाव प्रदर्शित किया है.
ज्ञात हो कि मांझी इसके पहले भी दो बार प्रधानमंत्री से मुलाकात कर चुके है.
वहीं, राजद-जदयू समेत जनता परिवार के छह दलों के
महाविलय पर बात आगे नहीं बढ़ पायी है. शुक्रवार को सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के
आवास पर जनता परिवार की बैठक थी. लेकिन, आंख का ऑपरेशन होने के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैठक में नहीं पहुंचे,
जिसके कारण कोई निर्णय नहीं हो सका. हालांकि,
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और जदयू के राष्ट्रीय
शरद यादव ने मुलायम सिंह से मुलाकात की. माना जा रहा है कि शनिवार को नीतीश कुमार,
लालू प्रसाद और मुलायम सिंह के बीच बैठक हो
सकती है. हालांकि मुलायम से मुलाकात के बाद लालू प्रसाद ने संवाददाताओं से बातचीत
में कहा कि 'जनता परिवार के
विलय पर बातचीत चल रही है. नीतीश कुमार आंख में परेशानी के कारण बैठक में शामिल
नहीं हो पाये. जदयू और राजद बिहार में भाजपा को सत्ता में नहीं आने देंगे.'
वैसे सूत्रों के
मुताबिक जदयू और राजद के बीच सीटों के तालमेल पर पेंच फंसा हुआ है. चुनाव चिह्न और
झंडे पर किसी को एतराज नहीं है. लेकिन, जदयू के नेता चाहते हैं कि सीटों का बंटवारा और नीतीश कुमार को नेता के रूप
में घोषणा की जाये, जबकि राजद की ओर
से बिहार विधानसभा चुनाव के पूर्व ऐसी घोषणा से बचने की बात कही जा रही है. इसीलिए
इस बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. वहीं, मुलायम सिंह की ओर से नीतीश कुमार और लालू प्रसाद को
आमने-सामने बैठा कर उचित रास्ता निकालने की बात बतायी जा रही है.
वहीं, इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा
चुनाव से पूर्व जनता दल के छह तत्कालीन घटकों के हाल में एकजुट होने के बीच,
जनता परिवार के साथ अपने गठबंधन को लेकर इंतजार
और देखो की नीति अपनाते हुये भाकपा ने कहा है कि ना तो हमने बातचीत शुरु की थी न
बंद की है. भाजपा के खिलाफ एकजुट होने का भाकपा पर दबाव है लेकिन उसने कहा है कि
वह कांग्रेस के साथ हाथ नहीं मिलाएगी क्योंकि उसकी नीतियों के कारण केंद्र में
भाजपा ने सत्ता हासिल की. भाकपा के महासचिव जी सुधाकर रेड्डी के मुताबिक हम देखना
चाहते हैं कि राजद, जदयू कांग्रेस के
साथ रहना चाहते हैं या वाम के साथ. इसका फैसला अभी होना है. उन्होंने कहा, हमने ना तो बातचीत शुरु की थी और ना ही बंद. हम
लोग इंतजार करना चाहते हैं और वाम मंच को लेकर हमारी अपनी समझ भी है. राजनीतिक दलों
की ओर से गठबंधन को लेकर दिये जा रहे बयानों से स्पष्ट है कि बिहार में चुनावी
गठबंधन के संबंध में तस्वीर साफ होने में थोड़ा और वक्त लग सकता है. सौजन्यः प्रभात खबर
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