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...तो छलावा है पीएम मोदी की जनधन योजना!

05:19 Unknown 0 Comments

भोपालः राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार देश में हर घंटे दुर्घटनाओं में 46 लोग मारे जाते हैं पर प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत एक भी क्लेम का सेटलमेंट 14 दिसंबर तक नहीं हुआ है। आरटीआई के जरिए पूछे गए एक सवाल के जवाब में नैशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया का कहना हैं कि जनधन योजना के दुर्घटना बीमा दावों में दिसंबर 14 तक केवल 34 क्लेम हासिल हुए हैं। इनमें 25 अंडर प्रोसेस हैं, 2 विचाराधीन हैं। एक रिजेक्ट हुआ है और 6 क्लेम कबूल हुए हैं। मतलब मुकाम तक एक भी क्लेम नहीं पहुंचा है। मध्य प्रदेश के नीमच में रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने आरटीआई के जरिए कई कड़वी हकीकत सामने लाए हैं।

प्रधानमंत्री ने पिछले साल 15 अगस्त को लाल किले से दिए अपने भाषण में वितीय समावेशन के लिए जनधन योजना की घोषणा कि थी। इसके तहत 28 अगस्त 2014 से 26 जनवरी 15 के बीच खाता खुलवाने वाले खाताधारक को सरकार ने दो तरह की बीमा सुरक्षा देना का वादा किया था। इसमें एक लाख रुपये का दुर्घटना बीमा और 30 हजार रुपये का जीवन बीमा लाभ प्रस्तावित था।

सरकार की इस पहल से लगने लगा था कि अब गरीब व्यक्ति को हादसे में जान गंवाने पर पीड़ित परिवार को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी पर जनधन योजना में आए दावों ने सरकार कि इस पूरी योजना पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। आरटीआई में उपलब्ध कराई गई एक अन्य जानकारी में यह चौंकाने वाला खुलासा भी हुआ है कि जनधन योजना के खाताधारक को बीमा लाभ तब ही मिलेगा जबकि उसने दुर्घटना के 45 दिनों के भीतर बैंक से कम से कम एक बार कोई वित्तीय या गैर वित्तीय लेनदेन किया हो।

जनधन योजना के तहत खुले खातों में से लगभग 7.8 करोड़ खाते ऐसे हैं जिनमे शून्य राशि है। ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि खातों में शून्य राशि के बाद कोई भी व्यक्ति बिना किसी कारण बैंक से कारोबार क्यों करेगा? इसमें व्यक्ति से हुई जरा सी भी चूक उसकी प्रस्तावित बीमा सुरक्षा को हड़प लेगी। सरकार यदि यह दावा करती है कि उसकी इस योजना से वित्तीय समावेशन आएगा और इसमें दिए जा रहे बीमा कवर से गरीबों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी तब फिर सवाल खड़ा होता है कि देश में हर दिन दुर्घटनाओं में हजार से ज्यादा लोग दम तोड़ देते हैं फिर योजना में दिसंबर 14 तक मात्र 34 क्लेम प्रस्ताव ही क्यों प्राप्त हुए हैं? (नैशनल क्राइम ब्रांच रेकॉर्ड 2013 के अनुसार विभिन्न दुर्घटनाओं में रोजाना 1097 लोग मारे जाते हैं।)

दुर्घटना बीमा के संबंध में नैशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने निजी क्षेत्र कि एक बड़ी बीमा कंपनी HDFC ERGO के साथ एक अरेजमेंट 10 अक्टूबर 14 को किया है जिसका पीरियड रखा गया है एक अप्रैल 14 से 31 मार्च 15 तक। हालांकि योजना कि शुरुआत 28 अगस्त 14 से हुई है। जब आरटीआई में सरकार द्वारा भुगतान की जा रही दुर्घटना बीमा प्रीमियम के बारे में सवाल किया गया तो जवाब में NPCI का कहना है कि इसका खुलासा करना न तो जनहित में है और न ही व्यावसायिक हित में। ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि क्या सरकार एक व्यापारी है जो इसका खुलासा करने से उसका व्यापार चौपट हो जाएगा?

जब सरकार कि आय-व्यय, निवेश और बचत तक सार्वजानिक रहते हैं तब सरकार द्वारा निजी बीमा कंपनी को भुगतान की जा रही प्रीमियम रकम को छुपाना कुछ अटपटा सा लगता है। वहीँ दूसरी ओर जीवन बीमा प्रीमियम राशि से जुड़े इसी प्रकार के सवाल के जवाब में खुद वित्त मंत्रालय के फाइनैंशल सर्विस सेक्शन को यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि उसने जनवरी 15 तक इसका प्रीमियम ही निर्धारित नहीं किया है। दूसरी ओर योजना शुरू हुए पांच महीने बीत चुके हैं ऐसे में सरकार जनधन योजना के करोड़ों गरीब खाताधारकों को जीवन बीमा कवर का दावा किस आधार पर कर रही है? इससे लगता है कि सरकार ने इस योजना को अत्यधिक जल्दबाजी में और बिना पूरी तैयारी के ही लॉन्च कर दिया है और इसके कई दावे हवा हवाई से लगते हैं। सौजन्यः नवभारत टाइम्स

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